एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesसाल 1988. इंदिरा गांधी की हत्या को चार साल बीत चुके थे. तभी एक मंच पर लोगों
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साल 1988. इंदिरा गांधी की हत्या को चार साल बीत चुके थे. तभी एक मंच पर लोगों ने प्रियंका गांधी को देखा.
प्रियंका की उम्र तब सिर्फ़ 16 साल थी. ये प्रियंका का पहला सार्वजनिक भाषण था. इस भाषण के 31 साल बाद कांग्रेस समर्थक अक्सर जिस मांग को उठाते रहे थे, वो अब पूरी हो गई है.
कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को महासचिव बनाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश की ज़िम्मेदारी दी है.
हालांकि 2014 आम चुनावों से पहले भी ये माना जा रहा था कि प्रियंका वाराणसी से चुनाव लड़ना चाहती थीं.
प्रियंका गांधी सक्रिय राजनीति में, कांग्रेस ने बनाया महासचिव
प्रियंका का पर्दे के पीछे रहना क्या कांग्रेस की रणनीति है?
लेकिन मोदी के ख़िलाफ़ लड़ने के जोखिम को देखते हुए इस फ़ैसले पर मुहर नहीं लग पाई.
बीते साल सोनिया गांधी से जब प्रियंका के राजनीति में आने की बात पूछी गई थी, तब उन्होंने कहा था कि ये प्रियंका तय करेंगी कि वो राजनीति में कब आना चाहती हैं.
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प्रियंका को कहते हैं भइया जी
प्रियंका गांधी जब छोटी थीं और अपने पिता राजीव और सोनिया के साथ रायबरेली जाती थीं तो उनके बाल हमेशा छोटे रहते थे.
अमेठी और रायबरेली के दौरे पर गांव के लोग राहुल की तरह प्रियंका को भी भइया बुलाते थे. अगले कुछ सालों में ये बदलकर भइया जी हो गया.
यूपी में प्रियंका की लोकप्रियता को आप यूं भी समझ सकते हैं कि आम लोग उन्हें काफ़ी पसंद करते हैं.
इसकी एक वजह प्रियंका का हेयरस्टाइल, कपड़ों के चयन और बात करने के सलीके में इंदिरा गांधी की छाप का साफ नज़र आना.
प्रियंका जब यूपी के दौरे पर रहती हैं तो उनका दिन सुबह छह बजे शुरू होता है. ट्रेडमिल पर थोड़ी मशक्कत करने के बाद प्रियंका योग करती हैं.
बताया जाता है कि प्रियंका यूपी दौरे पर जब रहती हैं तो रोटी या परांठे के साथ सब्ज़ी और दाल खाना पसंद करती हैं. साथ में आम/नींबू के अचार के साथ.
उन्हें और पति रॉबर्ट वाड्रा को मुग़लई खाना बेहद पसंद है.
कांग्रेस की राजनीति में परदे के पीछे सक्रिय प्रियंका गांधी
इमेज कॉपीरइटReutersरिक्शा की सैर
प्रियंका ने चुनावी प्रचार साल 2004 में शुरू किया था.
तब प्रियंका बतौर मेहमान रायबरेली निवासी रमेश बहादुर सिंह के घर पर एक महीने ठहरी थीं.
रमेश ने बीबीसी को इस बारे में 2016 में बताया था, "प्रियंका प्रचार करने अकेले निकलतीं थी और देर रात लौट पातीं थीं. दोनों बच्चे घर में आया के साथ रहते थे. एक दिन वे जल्दी लौट आईं और मुझसे बोलीं बच्चों को रिक्शे की सैर करानी है इसलिए दो रिक्शे मिल सकते हैं क्या?"
"जैसे ही रिक्शे आए वे बच्चों के साथ एक पर बैठ कर बाहर निकल चलीं और भौचक्के एसपीजी वाले पीछे भागे. आधे घंटे बाद वे लौटीं और रिक्शा वालों को 50 रुपए का नोट देकर हँसते हुए भीतर लौट आईं."
इमेज कॉपीरइटAFP2004 में क्यों प्रचार में उतारी गईं प्रियंका गांधी
24 अकबर रोडकिताब लिखने वाले रशीद किदवई ने प्रियंका की कांग्रेस में ज़रूरत की एक दिलचस्प कहानी बताते हैं.
नलिनी- 'प्रियंका गांधी बहुत गुस्सा हो गई थीं'
साल 2004 के आम चुनाव के समय ये महसूस किया गया कि कांग्रेस की हालत ख़राब है. पार्टी ने एक प्रोफ़ेशनल एजेंसी की सेवाएं लीं जिसने तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को बताया कि वह अकेले बीजेपी के बड़े नेता और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को टक्कर नहीं दे सकती.
इसके बाद ही राहुल गांधी ब्रिटेन में अपनी नौकरी छोड़कर सक्रिय राजनीति में आए.
इन चुनावों के बाद जब नतीजे आने शुरू हुए तो अमेठी में टीवी देख रहीं प्रियंका के चेहरे की मुस्कुराहट हर 10 मिनट में बढ़ रही थी.
एकाएक बोल उठीं, "मम्मी हैज़ डन इट.... ".
राशिद बताते हैं कि इसी एजेंसी से सोनिया ने फिर सलाह मांगी. तब जो सलाह मिली वो ये थी कि ज़ोरदार वापसी के लिए राहुल और प्रियंका की संयुक्त एजेंसी की ज़रूरत होगी.
इमेज कॉपीरइटReutersजब प्रियंका ने 10 मिनट तक नेता को लगाई डांट
साल 2012. उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव चल रहे थे. प्रियंका रायबरेली की बछरांवा सीट पर प्रचार कर रही थीं.
एक गांव में उनके स्वागत के लिए वहां के सबसे बड़े कांग्रेसी नेता और पूर्व विधायक खड़े दिखे.
प्रियंका के चेहरे के भाव बदले, उन्होंने अपनी गाड़ी में बैठे लोगों को उतरने के लिए कहा और इशारे से उस 'क़द्दावर' स्थानीय नेता को गाड़ी में बैठाया.
अपनी अगली सीट से पीछे मुड़ कर ग़ुस्से से तमतमाई प्रियंका ने उस नेता को 10 मिनट तक डांटा और कहा, "आगे से मुझे ऐसा कुछ सुनाई न पड़े. मैं सब जानती हूं. अब गाड़ी से मुस्कुराते हुए उतरो".
इसके बाद पार्टी कार्यकर्ताओं की एक बैठक हुई. बीच में मीटिंग रोक कर एक स्थानीय नेता को प्रियंका बुलाकर पीछे कमरे में ले गईं और पांच मिनट बाद वे कमरे से निकले तो उनकी आंखों से आंसू टपक रहे थे.
कुछ महीनों बाद प्रियंका गांधी ने टिकट बंटवारों के दौरान हुई कोर बैठक में इस नेता की राय भी बखूबी सुनी थी.
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesप्रियंका गांधी के सफ़र पर एक नज़र
12 जनवरी 1972 को जन्म
मॉर्डन स्कूल से पढ़ाई
दिल्ली यूनिवर्सिटी के जीसस एंड मैरी कॉलेज से मनोविज्ञान की पढ़ाई
1997 में व्यापारी रॉबर्ट वाड्रा से शादी
2004 में सोनिया गांधी के लिए प्रचार किया
प्रियंका गांधी को दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी.
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