एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटPriyanka Dubey/FacebookImage caption प्रियंका दुबे बीबीसी हिंदी सेवा की संवाददाता प्रियं
इमेज कॉपीरइटPriyanka Dubey/FacebookImage caption प्रियंका दुबे
बीबीसी हिंदी सेवा की संवाददाता प्रियंका दुबे को साल 2018 के पत्रकारिता के प्रतिष्ठित 'चमेली देवी जैन' पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. प्रियंका बीबीसी के दिल्ली ब्यूरो में पिछले एक साल से ज़्यादा वक़्त से 'बाइलिंगुअल जर्नलिस्ट' के तौर पर काम कर रही हैं.
पिछले 37 सालों से चमेली देवी जैन पुरस्कार हर साल भारत की एक सर्वश्रेष्ठ महिला पत्रकार को दिया जाता रहा है. इस पुरस्कार का नाम भारतीय स्वतंत्रता सेनानी चमेली देवी की याद में रखा गया है. पत्रकार के साल भर के काम के मूल्यांकन के अधार पर उसे पुरस्कार के लिए चुना जाता है.
इमेज कॉपीरइटThe Media FoundationImage caption कार्यक्रम के मुख्य अतिथि हामिद अंसारी और जुरी सदस्यों के साथ प्रियंका दुबे
'द ट्रिब्यून' अख़बार के पूर्व संपादक हरीश खरे के नेतृत्व वाला संस्थान 'द मीडिया फ़ाउंडेशन' चमेली देवी पुरस्कार देता है. इस सम्मान के लिए पूरे भारत से जानी-मानी महिला पत्रकार अपना नामांकन देती हैं.
किसने चुना प्रियंका को?
इस बार अवॉर्ड की जुरी में 'कैच न्यूज़' के संपादक और वरिष्ठ पत्रकार भारत भूषण, न्यूज़ एक्स की नेशनल एडिटर (न्यूज़) शीला भट्ट और इंडियन एक्सप्रेस की नेशनल ओपिनियन एडिटर वंदिता मिश्रा शामिल थे.
इस साल अवॉर्ड के लिए कुल 30 नामांकन आए थे जिसमें से ज्यूरी ने 10 पत्रकारों को शॉर्टलिस्ट किया और इस तरह आख़िरकार प्रियंका को साल 2018 के लिए चमेली देवी जैन अवॉर्ड के लिए चुना गया.
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इमेज कॉपीरइटPriyanka Dubey/FacebookImage caption बीबीसी में भारतीय भाषाओं की संपादक रूपा झा और बीबीसी हिंदी के संपादक मुकेश शर्मा के साथ प्रियंका दुबे किस आधार पर मिला पुरस्कार
प्रियंका दुबे को यह पुरस्कार उनकी विविधतापूर्ण, खोजी और महत्वपूर्ण सवाल उठाने वाली विस्तृत रिपोर्टिंग के लिए दिया गया.
'द मीडिया फ़ाउंडेशन' द्वारा जारी किए एक बयान में कहा गया कि प्रियंका को ये पुरस्कार मौजूदा वक़्त के ज्वलंत और जटिल राजनीतिक-सामाजिक मुद्दों पर की गई रिपोर्टिंग के लिए दिया गया.
फ़ाउंडेशन के मुताबिक़ प्रियंका की न्यूज़ रिपोर्ट्स आज के गंभीर मुद्दों की उलझी हुई सच्चाई की परतें खोलने का काम करती हैं.
इमेज कॉपीरइटThe Media FoundationImage caption पूर्व उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी के साथ प्रियंका दुबे प्रियंका की कुछ रिपोर्ट्स, जिनके लिए पुरस्कार मिला
मॉब लिंचिंग (भीड़ द्वारा की गई हत्याओं) पर खोजी रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश में हुए 'फ़ेक एनकाउंटर्स' पर तीन हिस्सों में सिरीज़
- अलीगढ़ में साधुओं की हत्या और मुसलमानों के एनकाउंटर का सच: BBC INVESTIGATIO
-यूपी पुलिस के एनकाउंटर में ज़िंदा बचने के बाद भी ख़ौफ़ज़दा: BBC SPECIAL
-‘खाते-कमाते बालक को मार डाला, भाजपा का पोस्टर भी न लगने देंगे’: BBC SPECIAL
गोरखपुर में इंसेफ़ेलाइटिस से मौत का शिकार होने वाले बच्चों की मांओं पर तीन हिस्सों में सिरीज़
-मांओं का दर्द- हमार बाबू अब कुछ बोलत नाहि
-'बच्चे की लाश के लिए दो घंटे लड़ना पड़ा'
-योगी के गढ़ में बेबस मांओं की दर्द भरी ज़िंदगी
भारत में कृषि संकट और किसानों की आत्महत्या पर पांच हिस्सों में सिरीज़
-‘ताकि जब थालियों से रोटियाँ ग़ायब हों, तो पता रहे कि ये कैसे हुआ’
-किसानों की कब्रगाह में बदलता पंजाब
-जहां फ़सल के साथ महिला किसानों की लाशें उगीं...
-BBC SPECIAL: किसान आत्महत्याओं की बंजर ज़मीन पर उम्मीदें बोता एक स्कूल
-क्या वाक़ई बदल रही है तेलंगाना के किसानों की तस्वीर ?
हिंदी कवि गोरख पांडेय पर विशेष रिपोर्ट/संस्मरण
-जब जनेऊ तोड़ कर दिल्ली से घर आए थे गोरख
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पुरस्कार समारोह
द मीडिया फ़ाउंडेशन ने शनिवार (9 मार्च, 2019) की शाम दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में पुरस्कार समारोह का आयोजन किया. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी थे.
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कार्यक्रम के अतिथियों में जाने-माने इतिहासकार और लेखक रामचंद्र गुहा, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश और मणिशंकर अय्यर समेत वरिष्ठ सामाजिक विज्ञानी आशीष नंदी उपस्थित थे.
इमेज कॉपीरइटThe Media Foundation'पत्रकारिता में मेरा भरोसा मज़बूत हुआ'
पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी के हाथों अवॉर्ड लेने के बाद प्रियंका दुबे ने एक भावुक भाषण में कहा कि 'चमेली देवी जैन पुरस्कार' पाकर उनका ईमानदार, निष्पक्ष और जनसरोकार वाली पत्रकारिता में भरोसा और मज़बूत हुआ है.
प्रियंका ने कहा, मैं पिछले 9 सालों हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में रिपोर्टिंग कर रही हूं और मेरा अनुभव रहा है कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं में होने वाली शानदार पत्रकारिता और रिपोर्टंग सिर्फ़ इसलिए हाशिये पर चली जाती है क्योंकि तथाकथित मुख्यधारा (अंग्रेज़ी मीडिया) के पत्रकार ये भाषाएं नहीं समझते. लेकिन इस पुरस्कार के बाद मुझे एक बार फिर यक़ीन हो गया है कि अच्छा काम, अच्छी स्टोरी और अच्छी रिपोर्टिंग सबके सामने आती ही है, चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में हो रही हो, किसी भी भाषा में हो रही हो."
प्रियंका ने कहा कि इस पुरस्कार का मिलना उन्हें और ज़्यादा ज़िम्मेदारी का अहसास दिलाता है. आख़िर में उन्होंने ये अवॉर्ड अपनी उस मां को समर्पित किया जिन्होंने हमेशा प्रियंका को पढ़ने के लिए 'एक और घंटा' दिलाने के लिए हर संभव कोशिश की.
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इमेज कॉपीरइटThe Media Foundation'उग्र राष्ट्रवाद के दौर में पत्रकारिता'
पुरस्कार समारोह के बाद हामिद अंसारी ने बीजी वर्गीज़ मेमोरियल लेक्चर के तहत 'उग्र राष्ट्रवाद के दौर में पत्रकारिता' विषय पर अपने विचार रखे.
अंसारी ने अपने भाषण में कहा कि आज के दौर में 'राष्ट्रवाद' और 'राष्ट्रप्रेम' के बीच लकीर को मिटाने की पुरज़ोर कोशिश हो रही है जो सबके लिए ख़तरनाक है.
पूर्व उपराष्ट्रपति ने अपने भाषण में पेड न्यूज़, फ़ेक न्यूज़ और पत्रकारों के साथ होने वाली हिंसा जैसे मुद्दों का भी ज़िक्र किया.
अंसारी ने हालिया पुलवामा और बालाकोट हमले के संदर्भ में 'ऑफ़िशियल सीक्रेट ऐक्ट' को अप्रासंगिक बताया और कहा कि इस क़ानून पर एक बार फिर विचार किए जाने की ज़रूरत है.