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नाइट्रेट शब्द सुनते ही आप को केमिस्ट्री की क्लास का ख़याल आता है. ऐसे में आप शायद ही उसे खान-पान से जोड़कर सोचें.
जिन लोगों को ज़्यादा जानकारी है, वो ये समझते हैं कि खाने में नाइट्रेट होने का मतलब है कि ये बहुत नुक़सान करेगा.
यूरोपीय देशों में हाल के दिनों में सुअर के मांस में नाइट्रेट मिलाने पर रोक लगाने की मांग तेज़ हो गई है. नाइट्रेट का इस्तेमाल मांस के टुकड़ों को संरक्षित करने और ज़्यादा दिनों तक ख़राब न होने देने के लिए किया जाता है.
लेकिन, कई रिसर्चर इससे कैंसर होने की आशंका जता चुके हैं.
हालांकि सच तो ये है कि हम नाइट्रेट और नाइट्राइट को सिरे से ये कहकर ख़ारिज नहीं कर सकते कि ये हमारी सेहत के लिए नुक़सानदेह हैं.
चुकंदर के जूस में पाया जाने वाला नाइट्रेट हमारे ब्लड प्रेशर को कम करता है. जब हमारे शरीर में ख़ून का दौड़ान रुकता है और सीने में दर्द होता है, तब एंजाइना के दर्द से भी नाइट्रेट राहत दिलाता है.
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesनाइट्रेट और नाइट्राइट हैं क्या?
तो, क्या वाक़ई नाइट्रेट और नाइट्राइट हमें नुक़सान पहुंचाते हैं?
पहले तो ये समझ लीजिए कि नाइट्रेट और नाइट्राइट हैं क्या?
नाइट्रेट और नाइट्राइट असल में नाइट्रोजन और ऑक्सीजन के मेल से बनते हैं. जब नाइट्रोजन का एक अणु ऑक्सीजन के तीन अणुओं से मिलता है, तो नाइट्रेट बनता है. इसी तरह नाइट्रोजन का एक और ऑक्सीजन के दो अणु मिलकर नाइट्राइट बनाते हैं. दोनों की मदद से खाने को ख़राब होने से रोका जाता है. इनका इस्तेमाल क़ानूनी रूप से वैध है.
नाइट्रेट और नाइट्राइट की मदद से मांस और चीज़ को ख़राब होने से बचाया जाता है, ताकि हम उनका लंबे समय तक प्रयोग कर सकें.
हमारे शरीर में मौजूद नाइट्रेट का केवल 5 फ़ीसद ही प्रोसेस्ड फूड या मीट से आता है. 80 फ़ीसद से ज़्यादा नाइट्रेट और नाइट्राइट जैसे सब्ज़ियों से मिलते हैं. सब्ज़ियों के एंजाइम, मिट्टी में मौजूद खनिज से केमिकल रिएक्शन कर के नाइट्रेट और नाइट्राइट बना लेते हैं.
पालक या चौलाई के पत्तों में काफ़ी नाइट्रेट होता है. इसी तरह चुकंदर का जूस और गाजर में भी ये दोनों केमिकल होते हैं.
हां, ऑर्गेनिक तरीक़े से उगाई गई सब्ज़ियों में नाइट्रेट और नाइट्राइट की उतनी मात्रा नहीं होती. क्योंकि मिट्टी में रासायनिक खाद नहीं डाली जाती.
पर, सब्ज़ियों और मांस के संरक्षण में इस्तेमाल नाइट्रेट-नाइट्राइट से कैंसर होने के खतरों में फ़र्क है.
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesतो क्या इससे कैंसर होता है?
नाइट्रेट हानिरहित केमिकल होते हैं. शरीर में जाने पर ये दूसरे केमिकल से रिएक्शन नहीं करते. लेकिन, नाइट्राइट, हमारे शरीर के प्रोटीन में मिलने वाले कई अमीनो एसिड के साथ मिलकर रिएक्शन करता है.
हमारे शरीर में ज़्यादातर नाइट्राइट, हमारे मुंह में पाए जाने वाले बैक्टीरिया की वजह से होता है. जब हम माउथवॉश करते हैं, तो बड़ी तादाद में मुंह के बैक्टीरिया मर जाते हैं. इससे शरीर में नाइट्राइट जाने का ख़तरा कम होता है.
मुंह से पेट में पहुंचने वाले कई नाइट्राइट दूसरे केमिकल से मिलकर आंतों के कैंसर की वजह बन सकते हैं. हालांकि इसके लिए पेट में ख़ास तरह के अमीनो एसिड होने ज़रूरी हैं. या फिर मांस को ज़्यादा तेज़ गर्म करने, मांस को तल कर खाने से ये ही ये अमीनो एसिड पेट में पहुंचते हैं.
वर्ल्ड कैंसर रिसर्च फंड की केट एलेन कहती हैं कि, 'नाइट्रेट या नाइट्राइट से कैंसर नहीं होता. जिस तरह से उन्हें पकाया जाता है. उससे कैंसर होने का ख़तरा बढ़ता है. जैसे कि केमिकल से संरक्षित किए गए मांस में ख़ास अमीनो एसिड होते हैं. ये नाइट्राइट के साथ मिलते हैं, तो ख़तरनाक साबित हो सकते हैं. तेज़ आंच में पकाकर प्रोसेस्ड मीट खाने से कैंसर का अंदेशा बढ़ जाता है.'
हालांकि ऐसे तैयार मांस में और भी केमिकल जैसे की पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन या हेटेरोसाइकिल एमाइन्स भी नुक़सानदेह होते हैं.
वैसे प्रोसेस्ड मीट खाने से ख़तरा सबको हो ये ज़रूरी नहीं. ब्रिटेन में हुए रिसर्च के मुताबिक़ 100 में से 6 मांसाहारी लोगों को कैंसर होने का डर होता है. इनमें से उन लोगों को ये डर ज़्यादा होता है, जो रोज़ 50 ग्राम या इससे ज़्यादा मांस खाते हैं.
वैसे नाइट्राइट इतने बुरे केमिकल नहीं हैं.
इनसे हमें दिल और धमनियों की कई बीमारियों से लड़ने की ताक़त मिलती है.
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesक्या कोई फायदा भी है
1998 में 3 अमरीकी वैज्ञानिकों को नाइट्रिक ऑक्साइड से जुड़ी खोज के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था. नाइट्रिक ऑक्साइड हमारी ख़ून की नलियों में बनने वाली गैस है. इससे ख़ून पतला होता है और ब्लड प्रेशर कम होता है. जब हमारा शरीर कम मात्रा में नाइट्रिक ऑक्साइड बनाता है, तो इससे दिल की बीमारियों और डायबिटीज़ जैसी बीमारियों का अंदेशा बढ़ जाता है.
शरीर में नाइट्रिक ऑक्साइड बनाने के लिए आर्जेनीन नाम के अमीनो एसिड की ज़रूरत होती है. बुज़ुर्गों में जब नाइट्रिक ऑक्साइड बनना बंद होता है, तो उनके बूढ़े होने की रफ़्तार तेज़ हो जाती है.
यूं तो मांस के संरक्षण मे प्रयोग होने वाले नाइट्रेट और सब्ज़ियों में मिलने वाले नाइट्रेट में फ़र्क़ नहीं है. मगर, क़ुदरती तौर पर शरीर में जाने वाला नाइट्रेट ऐसा नुक़सान करने वाला केमिकल भी नहीं है. इसकी वजह से ही कैंसर होता हो, ये ज़रूरी नहीं.
वैसे भी हम सब्जियों के ज़रिए अथाह मात्रा में नाइट्रेट या नाइट्राइट तो खाते नहीं हैं.
इम्पीरियल कॉलेज लंदन की अमांडा क्रॉस कहती हैं कि हरी सब्ज़ियों में प्रोटीन की तादाद ज़्यादा नहीं होती. इनमे विटामिन सी भी कम होता है. तो इनमें मौजूद नाइट्रेट और शरीर के अमीनो एसिड के बीच रिएक्शन कम ही होता है. इनसे बनने वाला नाइट्रिक ऑक्साइड हमारी सेहत के लिए फ़ायदेमंद ही होता है.
एक जानकार तो ये मानते हैं कि नाइट्रिक ऑक्साइड को अतिआवश्यक केमिकल घोषित कर दिया जाए. इससे दिल के दौरे की घटनाएं रोकने में मदद मिलेगी.
हम रोज़ कितना नाइट्रेट लेते हैं, इसका अंदाज़ा लगाना मुश्किल है. वजह ये कि हर इंसान के हरी सब्ज़ी खाने की तादाद अलग होती है.
ब्रिटेन की रीडिंग यूनिवर्सिटी के गुंटर कुल्ने कहते हैं कि रोज़ 50 मिलीग्राम प्रति लीटर नाइट्रेट लेना ज़रूरी है.
यूरोप की फूड सेफ्टी अथॉरिटी ने 2017 में तय किया था कि 63.5 किलो वज़न का इंसान रोज़ 235 मिलीग्राम से ज़्यादा नाइट्रेट न खाए.
नाइट्रेट के मुक़ाबले इंसान औसतन नाइट्राइट तो और भी कम खाता है. ब्रिटेन में इसका प्रति व्यक्ति रोज़ाना का औस 1.5 मिलीग्राम है. जो हर आबादी के लिए सुरक्षित है.
कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि ये न्यूनतम मात्रा अब बेकार की बात है, लोगों को ज़्यादा से ज़्यादा ऐसा खाना खाना चाहिए जिससे उसके शरीर में नाइट्राइट जाए.
पालक और दूसरी हरी पत्तियों का सलाद खाने से आप को 300-4000 मिलीग्राम नाइट्रेट मिल सकता है. इसी तरह चुकंदर का जूस लेने से ब्लड प्रेशर कम होता है.
वैसे तो कहावत है कि 'अति सर्वत्र वर्जयेत'. यानी कोई भी चीज़ ज़्यादा मात्रा में खाना नुक़सानदेह ही होता है. तो हरी सब्ज़ियों को आप संभलकर खाएं. रासायनिक खाद मिला पानी न पिएं. कोशिश हो कि ऑर्गेनिक सब्ज़ियां ही खाएं, तो नाइट्रेट और नाइट्राइट की ज़्यादा मात्रा शरीर में जाने से बचा जा सकता है.
आप सही नाइट्रेट और नाइट्राइट खाना चाहते हैं, तो बेहतर हो इसे हरी सब्ज़ियों, चुकंदर और गाजर वग़ैरह से ही हासिल करें. कोशिश करें कि प्रसंस्कृत मांस न खाना पड़े. बार-बार तो बिल्कुल भी नहीं.
इससे नाइट्रेट और नाइट्राइट आप को नुक़सान नहीं, फ़ायदा पहुंचाएंगे.