एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटPOLICE HANDOUT अमरीका के वर्जीनिया में रास्पबेरी फॉल्स की सड़कें युद्ध के मैदान की तरह
इमेज कॉपीरइटPOLICE HANDOUT
अमरीका के वर्जीनिया में रास्पबेरी फॉल्स की सड़कें युद्ध के मैदान की तरह दिख रही थीं. आसमान में हेलिकॉप्टर उड़ रहे थे और कई सुरक्षाबल वहां पहुंच चुके थे.
वो जून 2017 की एक सुबह थी और एफबीआई एजेंट्स की बंदूक के निशाने पर था एक किशोर, जो अपने घर के दरवाज़े के बाहर खड़ा था.
एजेंट्स ने उस लड़के को अपने घुटनों पर बैठ जाने को कहा. वो लोग उस लड़के के पिता केविन मैलोरी के ख़िलाफ़ सबूत ढूंढ रहे थे.
केविन मैलोरी सीआईए यानी अमरीका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी के पूर्व अधिकारी थे और उनपर चीन की सरकार के लिए जासूसी करने का आरोप था.
एजेंट्स ने उनके घर की तलाशी ली. इस घटना के एक साल बाद 61 वर्षीय मैलोरी को जासूसी का दोषी पाया गया.
मैलोरी एक दोहरी ज़िंदगी जी रहे थे. एक तरफ वो लोगों की बागवानी में मदद करते थे, चर्च जाते थे और प्रवासियों को इनकम टैक्स के फॉर्म देकर मदद करते थे.
वहीं दूसरी ओर वो चीन के एजेंट्स से सोशल नेटवर्क्स के ज़रिए बात करते थे और अमरीका की ख़ुफ़िया जानकारी बेचा करते थे.
फिलहाल वो जेल में हैं. उन्हें इस महीने के अंत में सज़ा सुनाई जाएगी.
अमरीका के न्याय मंत्रालय का कहना है कि वो मैलोरी को सज़ा देकर उन लोगों को चेतावनी देना चाहते हैं जो देश के ख़िलाफ़ जासूसी करने के बारे में सोचते हैं.
लेकिन कई लोगों का मानना है कि ये अमरीका और चीन के बीच के तल्ख रिश्तों को दिखाता है.
इमेज कॉपीरइटNICOLAS ASFOURI/AFP/GETTY IMAGESएक नया शीत युद्ध
कई लोग अमरीका और चीन के बीच बढ़ते तनाव को “शीत युद्ध” की तरह देख रहे हैं.
अमरीकी अधिकारियों का कहना है कि चीन व्हाइट हाउस और अमरीकी सरकार की अंदरूनी जानकारियों को पाना चाहता है.
और इसके लिए वो ख़ुफ़िया एजेंट्स का इस्तेमाल कर रहा है. इसलिए मैलोरी चीन के लिए परफेक्ट एजेंट थे.
मैलोरी के बाल गहरे भूरे रंग के थे, चहरे पर लंबी सी मुस्कान और शांत स्वभाव. वो शराब या कॉफी भी नहीं पीते थे.
उन्होंने एक अंडरकवर सीआईए अधिकारी के तौर पर काम किया था, इसलिए उनकी देश के सबसे खास रहस्यों तक आसान पहुंच थी.
हालांकि जब चीन ने उनसे 2017 में संपर्क किया तो वो स्वतंत्र सलाहकार के तौर पर काम कर रहे थे.
चीन में सीआईए के मुख्य प्रतिनिधि रहे रान्डेल फिलिप्स ने बीबीसी को बताया था कि चीन के एजेंट्स ने मैलोरी से बहुत अच्छे से बात की और उन्हें विशेष महसूस कराने की कोशिश की.
उन्होंने उनकी नियुक्ति लिंक्डइन के माध्यम से की. उन्होंने मैलोरी को एक अनौपचारिक मैसेज भेजा, हेलो, क्या आप मेरे नेटवर्क में शामिल होंगे?"
इसराइल के पूर्व कैबिनेट मंत्री निकले ईरानी जासूस
डीआरडीओ वैज्ञानिक कथित जासूसी के मामले में गिरफ़्तार
कोर्ट के रिकॉर्ड के मुताबिक़, मैलोरी ने जवाब में कहा, मैं कुछ भी करने को तैयार हूं, आप बस मुझे पैसे दीजिए."
उन्होंने मैलोरी से कहा कि वो किसी ऐसे शख्स की तलाश कर रहे हैं जिसे पेशेवर अनुभव हो.
कुछ अध्ययनों के मुताबिक़, चीन के एजेंट्स पिछले साल से लिंक्डइन पर ज़्यादा सक्रिय हो गए हैं.
लिंक्डइन सिक्यूरिटी डिपार्टमेंट के प्रमुख पॉल रॉकवेल कहते हैं कि वो इस प्लेटफॉर्म से चीनी एजेंट्स की नियुक्ति को लेकर चिंतित हैं.
वो कहते हैं कि हम इसे रोकने के लिए प्रतिबद्ध हैं.
सपनों को जिया
नौ भाई बहनों में से एक मैलोरी ने राजनीतिक विज्ञान में डिग्री हासिल की थी और सीआईए एजेंट बनने से पहले वो कुछ समय सेना में भी रहे थे.
वो इराक़, चीन और ताइवान में रहे. उन्होंने 2006 में ताइवान की ही एक महिला से शादी कर ली. फिर उन्होंने रास्पबेरी फॉल्स में 1.16 मिलियन डॉलर का एक घर ख़रीदा.
2008 में रियल एस्टेट कारोबार में आई गिरावट के बाद उनकी किस्मत बदल गई. पहले तो उनके मकान की क़ीमत गिर गई और फिर उन्हें नौकरी भी गंवानी पड़ी.
ऐसे में जब चीन के एजेंटों ने उनसे संपर्क किया, कोर्ट के दस्तावेज़ों के मुताबिक उनके क्रेडिट कार्ड पर 20 हज़ार अमरीकी डॉलर का कर्ज़ था. वह समय पर पेमेंट भी नहीं कर पा रहे थे.
लिंक्डइन पर हाल ही में उनकी जिससे जान-पहचान हुई थी, उसने उन्हें एक ऐसे शख्स से मिलवाया जो शंघाई एकेडमी ऑफ सोशल साइंसेज़ के लिए काम करता था. यह विशेषज्ञों का ऐसा समूह था जो शिक्षाविदों और ख़ुफिया एजेंटों को काम देता था.
इस शख़्स ने मैलोरी को बतौर कंसल्टेंट नौकरी की पेशकश की.
इसरो के वो वैज्ञानिक जिन पर लगा जासूसी का झूठा आरोप
अमरीका ने चीन पर लगाए हैकिंग के आरोप
मैलोरी ने शंघाई के लिए उड़ान भरी और होटल के कमरे में उनकी मुलाक़ात अपने नए बॉस से हुई. इन लोगों ने यह नहीं कहा कि वे चीनी ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए काम करते हैं और उन्होंने इस बात को खारिज भी नहीं किया.
इसके बाद मैलोरी उस सैमसंग गैलक्सी फ़ोन के साथ वापस लीसबर्ग आ गए जो उन्हें ऑफ़िस से मिला था. इसमें एक चैट ऐप्लिकेशन था, जिसके माध्यम से उनके नए ऑफ़िस के लोग उनसे संपर्क करते थे.
बाद में इसी फ़ोन ने उन्हें फंसाया. जब वह घर पहुंचे, उन्होंने अपनी पत्नी को बताया कि वह अपनी नई नौकरी को लेकर चिंतित हैं.
हालांकि, उनकी चिंताओं के बावजूद उन्होंने चीन को वह जानकारियां मुहैया करवा दीं जो उन्होंने सीआईए के लिए काम करते हुए जुटाई थीं.
अमरीकी प्रशासन के मुताबिक़ जो जानकारियां चीन को दी गई थीं, उसका एक हिस्सा अति गोपनीय था और उसे ज़ाहिर नहीं किया जा सकता था.
मैलोरी ने कहा कि एजेंटों ने उनसे कहा था कि वे बस यह समझना चाहते हैं कि ट्रंप सरकार की नीतियां क्या होंगी. मगर उन्होंने उनसे मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम और अन्य संवेदनशील विषयों पर भी जानकारी मांगी थी.
इन्हीं चीज़ों ने उनके लिए मुश्किलें पैदा कर दी थीं.
ऐसे हुआ पतन
मैलोरी ने तोशिबा ब्रैंड के एसडी कार्ड में गोपनीय जानकारियां डालीं. ये वे दस्तावेज़ वगैरह थे जो उन्होंने अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी के लिए काम करते समय जुटाई थीं. इस एसडी कार्ड को उन्होंने एल्यूमीनियम की पन्नी में लपेटा और अपने बेडरूम की अलमारी में रख दिया.
उन्होंने चीनी एजेंटों को बताया कि उन्हें इस बात की चिंता है कि कहीं अमरीकी प्रशासन को उनके काम के बारे में पता न चल जाए.
मैलोरी के वकील कहते हैं कि वह तो चीनी इंटेलिजेंस से इसलिए जानकारियां जुटा रहे थे ताकि चीन के तौर-तरीकों के बारे में सीआईए को बता सकें.
मगर अभियोजकों ने कोर्ट में कई ऐसे टेक्स्ट मेसेज बतौर सबूत पेश किए ताकि यह साबित किया जा सके वह अमरीकी ख़ुफ़िया सूचनाओं को बेच रहे थे.
उन्होंने चीनी एजेंटों को लिखा था, आपका लक्ष्य सूचनाएं हासिल करना है और मेरा लक्ष्य पेमेंट लेना."
मैलोरी ने आशबर्न में मई 2017 में एक सीआईए अधिकारी के साथ मीटिंग तय की. इसी के बाद सबकुछ बदल गया.
उनके वकीलों के मुताबिक मैलोरी बताना चाहते थे कि वह चीन की जासूसी के तौर-तरीकों के बारे में क्या जानते हैं. मगर अभियोजक कहते हैं कि वह सीआईए एजेंट से अपने बचाव को लेकर बात करने आए थे.
मैलोरी हैरान रह गए जब मीटिंग में एक एफ़बीआई का अधिकारी भी आ गया.
मैलोरी के मुताबिक उन्होंने इसकी परवाह नहीं की और बताया कि कैसे चीन ने उन्हें एक सिक्यॉर फ़ोन दिया है.
उस समय तक उन्हें लगता था कि उनके भेजे टेक्स्ट मैसेज एनक्रिप्टेड रहेंगे और कोई उन्हें नहीं पढ़ पाएगा. मगर उसी समय फ़ोन गिरा और गोपनीय मैसेज स्क्रीन पर आ गए. इस तरह से उनके सामने ही राज़ खुल गया कि उन्होंने कैसे अपने देश के साथ धोखा किया है.
लंबे समय तक उन्होंने कुछ नहीं कहा. मगर एजेंट्स ने तब तक उनके भेजे मैसेज पढ़ लिए थे.
क्या रहा नतीजा
कोर्ट के दस्तावेज़ों के मुताबिक मैलोरी चाहते थे कि चीन के ज़रिए पैसा कमाएं. मगर आख़िर में उन्हें कुछ नहीं मिला. अपनी जासूसी के काम के लिए मिले सिर्फ़ 25 हज़ार डॉलर.
अब उनका घर 7 लाख 40 हज़ार डॉलर की कीमत पर बिक्री के लिए उपलब्ध है यानी अपनी कीमत से एक तिहाई कम.
उनके घर पर लगा चीनी झंडा हटा दिया गया है.
उन्हें वर्जीनिया के अलेग्ज़ेंड्रिया डिटेंशन सेंटर में रखा गया है जहां वह सज़ा सुनाए जाने का इंतज़ार कर रहे हैं.
बहुत से लोगों के लिए उनका यह केस एक बड़े पैमाने पर जारी 'युद्ध' का एक पन्ना मात्र है.
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिककर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्रामऔर यूट्यूबपर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)