एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesकेंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पुलवामा चरमपंथी हमले के
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केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पुलवामा चरमपंथी हमले के बाद भारत में कश्मीरी छात्रों के साथ हुई मारपीट और बदसलूकी की किसी भी घटना को मानने से इनकार कर दिया है.
हाल ही में दिल्ली में हुई एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में जावड़ेकर ने कहा, कुछ लोग जो ये कहना चाह रहे हैं कि कश्मीरी छात्र-छात्राओं पर हमले हो रहे हैं, ऐसा नहीं है. ये मैं साफ़ कर दूं कि मैं सभी संस्थानों के संपर्क में हूँ और ऐसी घटनाएं नहीं हुई हैं."
केंद्रीय मंत्री के इस बयान पर कश्मीर के स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई है और सोशल मीडिया पर इसकी चर्चा हो रही है.
जावड़ेकर ने 'ऑपरेशन डिजिटल बोर्ड' के लॉन्च के दौरान क़रीब बीस मिनट चली प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ये बयान दिया.
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उन्होंने कहा, पुलवामा की घटना से देश में एक ज़बरदस्त रिएक्शन है. जिस तरह से आतंकी हमला हुआ, उसके ख़िलाफ़ लोगों में गुस्सा है."
14 फ़रवरी को भारत प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में हुए चरमपंथी हमले में सीआरपीएफ़ के 45 से ज़्यादा जवान मारे गए थे.
इस घटना के बाद देश भर में आक्रोश देखा गया. देश में कई जगह कैंडल मार्च हुए तो कुछ जगहों से उग्र प्रदर्शनों की ख़बरें आईं.
लेकिन इन सबके बीच कश्मीरी मूल के छात्र-छात्राओं को धमकाने और कश्मीरी लोगों पर हमला होने की ख़बरें भी आईं जो केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर के बयान पर सवाल उठाती हैं.
इमेज कॉपीरइटUttarakhand PoliceImage caption कश्मीरी छात्राओं से मुलाक़ात करती उत्तराखंड पुलिस की अफ़सर 'गुस्साई भीड़ का दबाव'
पुलवामा हमले के बाद कई जगहों से ख़बरें आईं जिनमें दावा किया गया कि कश्मीरी मूल के छात्रों के साथ कथित तौर पर बदसलूकी की गई है.
इनमें सबसे ज़्यादा चर्चित रहा उत्तराखंड के देहरादून का मामला जहाँ दो कॉलेजों ने सर्कुलर जारी कर कहा कि वो अगले सत्र से कश्मीरी छात्रों को दाख़िला नहीं देंगे.
अब आप चार ऐसे बयान पढ़ें जिनसे पता चलता है कि केंद्रीय मंत्री ने सच को स्वीकार नहीं किया.
बीबीसी से बात करते हुए देहरादून के बाबा फ़रीद इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी के प्राध्यापक डॉक्टर असलम सिद्दकी ने कहा, गुस्साई भीड़ के दबाव में आकर हमें वो सर्कुलर जारी करना पड़ा जिसमें कश्मीरी छात्रों को अगले सत्र से दाख़िला नहीं देने की बात है."
इमेज कॉपीरइटGetty ImagesImage caption सांकेतिक तस्वीर
देहरादून के ही अल्पाइन कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी ने भी इसी तरह का नोटिस जारी किया था.
अल्पाइन कॉलेज के डायरेक्टर एसके चौहान ने बीबीसी को बताया था, हमारे कॉलेज में क़रीब 250 छात्र हैं. उन्हीं में से एक छात्रा ने पुलवामा हादसे पर एक असंवेदनशील ट्वीट किया था. इसके बाद सैकड़ों की संख्या में राजनीतिक तौर पर सक्रिय छात्र कॉलेज पहुँच गए. उन्होंने ज़िद ठान ली कि फ़ौरन उस छात्रा को बर्ख़ास्त किया जाए."
इसके बाद उन्होंने लिखित में देने को कहा कि आगामी सत्र में किसी भी कश्मीरी छात्र को दाख़िला नहीं दिया जाएगा."
वहीं देहरादून की एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बीबीसी को बताया, हमने 22 छात्रों को गिरफ़्तार किया है जो कश्मीरी छात्रों के ख़िलाफ़ हंगामा कर रहे थे और कॉलेजों पर कश्मीरी छात्रों को दाख़िला नहीं देने का दबाव बना रहे थे."
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पुलवामा हमले के बाद कश्मीरी छात्रों की आपबीतीक्या कहती हैं रिपोर्ट्स
देहरादून की ही तरह हरियाणा के अंबाला से भी ख़बरें आई थीं और एक वीडियो शेयर किया गया था जिसमें मकान मालिक कश्मीरी छात्रों से घर खाली करने को कह रहे थे.
कैसे पुलवामा हमले के बाद ख़ासतौर पर उत्तराखंड और हरियाणा में कश्मीरी छात्रों के लिए हालात मुश्किल हो गए थे. इस पर बीबीसी ने 17 फरवरी को रेडियो पर रिपोर्ट प्रसारित की थी और 19 फ़रवरी को भी एक रिपोर्ट की थी. इस रिपोर्ट में कश्मीरी छात्रों की आपबीती सुनी जा सकती है.
हालात की नज़ाकत को समझते हुए 'कश्मीर करियर काउंसलिंग एसोसिएशन' ने गुरुवार को केंद्र सरकार से गुज़ारिश की है कि वो कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करें.
कश्मीर के स्थानीय मीडिया में छपीं रिपोर्ट्स के अनुसार कश्मीर की कोचिंग सेंटर एसोसिएशन ने भी फ़ैसला किया है कि वो कथित तौर पर पुलवामा हमले के बाद भारतीय शिक्षण संस्थानों से निकाल दिए गए छात्रों को फ्री एडमिशन ऑफ़र करेंगे.
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने भी ट्वीट कर कश्मीरी छात्रों की सुरक्षा पर चिंता ज़ाहिर की थी.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @MehboobaMufti
Bjp Minister from Uttarakhand wants to slap an FIR against PDP leaders who travelled to Dehradun to comfort & facilitate travel back home for students in panic.Instead of initiating action against goons responsible, he wants to punish innocent Kashmiris. #Shame
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) 21 फ़रवरी 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @MehboobaMufti
खुद सीआरपीएफ़ ने फरवरी 16 को सीआरपीएफ़ मददग़ार नाम से दो हेल्पलाइन नंबर जारी किए और सोशल मीडिया पर लिखा कि अगर कहीं कश्मीरी छात्रों और कश्मीर के लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है तो वो इन हेल्पलाइन नंबरों पर फ़ोन कर सकते हैं.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @CRPFmadadgaar
#Kashmiri students and general public, presently out of #kashmir can contact @CRPFmadadgaar on 24x7 toll free number 14411 or SMS us at 7082814411 for speedy assistance in case they face any difficulties/harrasment. @crpfindia @HMOIndia @JKZONECRPF @jammusector @crpf_srinagar pic.twitter.com/L2Snvk6uC4
— CRPF Madadgaar (@CRPFmadadgaar) 16 फ़रवरी 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @CRPFmadadgaar
कश्मीरी छात्रों के अलावा कश्मीरी मूल के व्यापारियों के साथ पश्चिम बंगाल, दिल्ली, हरियाणा और बिहार में हुई बदअमनी की घटनाओं को भी मीडिया ने कवर किया है.
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