एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटReutersImage caption प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले लोकसभा चुनावों में मतदान के बाद
इमेज कॉपीरइटReutersImage caption प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पिछले लोकसभा चुनावों में मतदान के बाद ली गई इस सेल्फ़ी पर विवाद हो गया था.
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा के लोकसभा चुनाव 2019 का कार्यक्रम घोषित करते ही देश में आदर्श आचार संहिता भी लागू हो गई है.
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग के बनाए गए नियमों को ही आचार संहिता कहते हैं.
आचार संहिता लागू होते ही शासन और प्रशासन में कई अहम बदलाव हो जाते हैं.
राज्यों और केंद्र सरकार के कर्मचारी चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक चुनाव आयोग के कर्मचारी की तरह काम करते हैं.
आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी ऐसे आयोजन में नहीं किया जा सकता जिससे किसी विशेष दल को फ़ायदा पहुंचता हों.
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सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगला का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है.
आचार संहिता लगने के बाद सभी तरह की सरकारी घोषणाएं, लोकार्पण, शिलान्यास या भूमिपूजन के कार्यक्रम नहीं किए जा सकते हैं.
किसी भी पार्टी, प्रत्याशी या समर्थकों को रैली या जुलूस निकालने या चुनावी सभा करने की पूर्व अनुमति पुलिस से लेना अनिवार्य होता है.
राजनीतिक कार्यक्रमों पर नज़र रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक भी नियुक्त करता है.
कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर मतदाताओं से वोट नहीं मांग सकता है.
ऐसा करने पर चुनाव आयोग दंडात्मक कार्रवाई भी कर सकता है.
आचार संहिता के उल्लंघन पर चुनाव आयोग क्या कर सकता है?
यदि कोई प्रत्याशी या राजनीतिक दल आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो चुनाव आयोग नियमानुसार कार्रवाई कर सकता है.
उम्मीदवार को चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है. ज़रूरी होने पर आपराधिक मुक़दमा भी दर्ज कराया जा सकता है.
आचार संहिता के उल्लंघन में जेल जाने तक के प्रावधान भी हैं.