होम -
उद्योग -
मेन बॉडी -

WikiFX एक्सप्रेस

IC Markets Global
XM
FXTM
Saxo
Elite Capitals
EC Markets
FOREX.com
HFM
Galileo FX
Pepperstone

लोकसभा चुनाव 2019: घमंड में डूबी कांग्रेस आख़िर बीजेपी को ही जिता देगी- नज़रिया

WikiFX
| 2019-03-19 17:48

एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइट@inc'हम नहीं सुधरेंगे' ये पंक्ति कांग्रेस के उसके सहयोगी दलों के प्रति रवैये पर कुछ ज़्य

इमेज कॉपीरइट@inc

'हम नहीं सुधरेंगे'

ये पंक्ति कांग्रेस के उसके सहयोगी दलों के प्रति रवैये पर कुछ ज़्यादा ही फ़िट बैठती है.

मौजूदा वक़्त में कांग्रेस के सभी सहयोगी दल उस पर सहयोग न करने का आरोप लगा रहे हैं. उनका कहना है कि कांग्रेस का रवैया अभी इतना बुरा है कि लोकसभा चुनाव से पहले ये विपक्षी पार्टियों की एकता को कमज़ोर कर रहा है.

इमेज कॉपीरइटGetty Images

एक ओर जहां विपक्षी पार्टियां मिलकर बीजेपी को हराना चाहती हैं वहीं कहा ये जा रहा है कि इस मक़सद को हासिल करने में सबसे बड़ी चुनौती ख़ुद कांग्रेस पार्टी ही है.

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती और उनके सहयोगी अखिलेश यादव ने मंगलवार को कांग्रेस पर उत्तर प्रदेश में मतदाताओं के बीच 'भ्रम की स्थिति' फैलाने का आरोप लगाया.

उत्तर प्रदेश में सपा, बसपा और राष्ट्रीय लोकदल ने गठबंधन कर लिया है. ये ऐसा गठबंधन नहीं है जिसे आसानी से तोड़ा जा सके. हालांकि सपा और बसपा उन क्षेत्रों में अपने भरोसेमंद प्रत्याशियों को उतारने में असफल रहे हैं जहां दोनों का अच्छा-ख़ासा वोट बैंक है.

ये भी पढ़ें: प्रियंका-चंद्रशेखर मुलाक़ात से कांग्रेस को क्या हासिल?

इमेज कॉपीरइटFACEBOOK/CHANDRASHEKHAR

कांग्रेस अलग 'पॉलिटिक्स' कर रही है

कांग्रेस इस गठबंधन का हिस्सा नहीं है लेकिन ऐसा भी नहीं है कि ये पूरी तरह से अलग-थलग है. कांग्रेस छोटी पार्टियों के साथ अपने अलग समीकरण बना रही है.

मिसाल के तौर पर देखें तो कांग्रेस की नई महासचिव प्रियंका गांधी ने अभी पिछले हफ़्ते ही भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर को 'करिश्माई नेता' बताया और इसके बाद ये ख़बर आई कि कांग्रेस, सपा और बसपा के पीठ पीछे चंद्रशेखर को वाराणसी से प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ़ चुनाव लड़ाने की तैयारी करा रही थी.

अब सपा और बसपा पूछ रही हैं कि कांग्रेस को ऐसा करने का अधिकार किसने दिया?

इसके बाद कांग्रेस ने ऐलान किया कि उत्तर प्रदेश में वो लोकसभा की कम से कम सात सीटों पर अपने उम्मीदवार नहीं उतारेगी, तो मायावती ने इसका तंज़ के साथ स्वागत किया.

छोड़िए ट्विटर पोस्ट @Mayawati

कांग्रेस यूपी में भी पूरी तरह से स्वतंत्र है कि वह यहाँ की सभी 80 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करके अकेले चुनाव लड़े आर्थात हमारा यहाँ बना गठबंधन अकेले बीजेपी को पराजित करने में पूरी तरह से सक्षम है। कांग्रेस जबर्दस्ती यूपी में गठबंधन हेतु 7 सीटें छोड़ने की भ्रान्ति ना फैलाये।

— Mayawati (@Mayawati) 18 मार्च 2019

पोस्ट ट्विटर समाप्त @Mayawati

उन्होंने ट्विटर पर लिखा...

“कांग्रेस उत्तर प्रदेश की सभी 80 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने के लिए स्वतंत्र है. हमारा गठबंधन (सपा-बसपा-आरएलडी) बीजेपी को हराने का माद्दा रखता है. कांग्रेस को उत्तर प्रदेश के लोगों में ये भ्रम फैलाना छोड़ देना चाहिए कि वो सात सीटें हमारे गठबंधन के लिए छोड़ रही है.”

बसपा देश के दूसरे राज्यों जैसे पंजाब, आंध्र प्रदेश और हरियाणा में भी ग़ैर-बीजेपी, ग़ैर-कांग्रेस दलों के साथ गठबंध की संभावनाएं तलाश रही है.

मायावती ने कहा, “बसपा एक बार फिर ये स्पष्ट करना चाहती है कि हमारा कांग्रेस के साथ न तो उत्तर प्रदेश में और न ही देश के किसी और हिस्से में कोई गठबंधन है. हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं को कांग्रेस द्वारा लगभग रोज़-रोज़ फैलाए जा रहे भ्रमों से बचकर रहना चाहिए.”

छोड़िए ट्विटर पोस्ट 2 @Mayawati

बीएसपी एक बार फिर साफ तौर पर स्पष्ट कर देना चाहती है कि उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश में कांग्रेस पार्टी से हमारा कोई भी किसी भी प्रकार का तालमेल व गठबंधन आदि बिल्कुल भी नहीं है। हमारे लोग कांग्रेस पार्टी द्वारा आयेदिन फैलाये जा रहे किस्म-किस्म के भ्रम में कतई ना आयें।

— Mayawati (@Mayawati) 18 मार्च 2019

पोस्ट ट्विटर समाप्त 2 @Mayawati

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी एक ट्वीट में मायावती का समर्थन किया.

उन्होंने लिखा, “एसपी, बीएसपी और आरएलडी मिलकर बीजेपी को उत्तर प्रदेश में हराने में सक्षम हैं. कांग्रेस पार्टी को किसी तरह का भ्रम फैलाने की ज़रूरत नहीं है.”

छोड़िए ट्विटर पोस्ट @yadavakhilesh

उत्तर प्रदेश में एस॰पी॰, बी॰एस॰पी॰ और आर॰एल॰डी॰ का गठबंधन भाजपा को हराने में सक्षम है। कांग्रेस पार्टी किसी तरह का कन्फ़्यूज़न ना पैदा करे! https://t.co/ekKcIlbc50

— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) 18 मार्च 2019

पोस्ट ट्विटर समाप्त @yadavakhilesh

कांग्रेस ने जन-अधिकार पार्टी से गठबंधन करके अपना दल से अलग हुए धड़े के लिए दो सीटें छोड़ने का ऐलान किया है.

पर बात यहीं ख़त्म नहीं होती.

कांग्रेस ने बिहार के लिए भी नई महत्वाकांक्षा सजा ली हैं, जहां राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ख़ुद को सबसे बड़ी पार्टी मानते हुए बीजेपी और जेडीयू को सत्ता में आने से रोकने की बात कर रही है.

बिहार में लोकसभा की 40 सीटों के लिए भी बहुत से दावेदार हैं. वहीं, आरजेडी 2014 के मुक़ाबले कम सीटों पर लड़ रही है.

ये भी पढ़ें: दुर्भाग्य से मोदी के भीतर प्यार नहीं है: राहुल गांधी

इमेज कॉपीरइटPTI

कांग्रेस की मजबूरी

कांग्रेस की अपनी अलग समस्याएं हैं. क्या उसे विपक्ष की एकता के लिए अपना अस्तित्व कमज़ोर करना चाहिए? ये सवाल कांग्रेस के कई बड़े नेताओं के मन में है.

उम्मीद की जा रही है कि पार्टी उत्तर प्रदेश की 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी लेकिन उसका ध्यान उन 25 सीटों पर ज़्यादा होगा जहां उसके उम्मीदवारों की जीतने की संभावना सबसे ज़्यादा है.

इसे एक तरफ़ तो कांग्रेस का झंडा बुलंद करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है लेकिन दूसरी तरफ़ उसके 'सहयोगी दल' इसे विपक्षी दलों की एकता में सेंध लगाने के क़दम के तौर पर देख रहे हैं:एक ऐसा क़दम, जो सिर्फ़ बीजेपी को फ़ायदा पहुंचाएगा.

जिन सीटों के लिए कांग्रेस ने उम्मीदवार न उतारने का फ़ैसला किया है वो हैं- मैनपुरी (मुलायम सिंह यादव का गढ़), कन्नौज (यहां से डिंपल यादव चुनाव लड़ सकती हैं) और फ़िरोज़ाबाद.

ये भी पढ़ें: अखिलेश-मायावती: दुश्मनी से दोस्ती तक की पूरी कहानी

इमेज कॉपीरइटGetty Images

अगर मायावती चुनाव लड़ती हैं तो ये साफ़ है कि कांग्रेस न तो उनके ख़िलाफ़ कोई उम्मीदवार खड़ा करेगी और न ही आरएलडी प्रमुख अजित सिंह और उनके बेटे जयंत चौधरी के ख़िलाफ़.

यही दिक़्क़तें पश्चिम बंगाल में वामदलों के साथ होने वाली हैं.

ममता बनर्जी के साथ तो कोई गठबंधन की बात भी नहीं कर रहा है. कांग्रेस का दावा है कि ममता ने उन्हें विपक्षी पार्टियों की रैली में शामिल होने तक के लिए नहीं बुलाया लेकिन ममता इससे इनकार कर रही हैं.

ये भी पढ़ें: उत्तर प्रदेश: प्रियंका गांधी की गंगा यात्रा बदलेगी कांग्रेस की तकदीर?

इमेज कॉपीरइटPTI

आख़िर में ये ज़िम्मेदारी कांग्रेस पर ही आती है कि वो कैसे और कितना त्याग करके और कैसी रणनीति अपनाकर छोटी पार्टियों का अहम बनाए रखती है और उन्हें अपने साथ जोड़े रखती है. लेकिन अंत में एक सवाल ये भी आता है कि अगर पार्टी अपने उन वफ़ादार कार्यकर्ताओं का साथ नहीं देती जो अच्छे-बुरे वक़्त में उसके साथ रहे तो वो ख़ुद के साथ सच्ची कैसे रहेगी?

विपक्षी पार्टियों का एक बड़ा तबक़ा नाराज़ और कड़वाहट से भरा हुआ है.

साथ ही ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी घमंड में इतनी डूबी हुई है और अपने गिरते आधार को लेकर उसका रवैया इतना अस्वीकार्यता भरा है कि आख़िर में ये बीजेपी को जिताने में ही मदद कर सकता है और शायद ये समझना इतना मुश्किल भी नहीं है.

(इस लेख में व्यक्त विचार लेखक के निजी हैं. इसमें शामिल तथ्य और विचार बीबीसी के नहीं हैं और बीबीसी इसकी कोई ज़िम्मेदारी या जवाबदेही नहीं लेता है.)

ये भी पढ़ें: आपके ससंदीय क्षेत्र में कब है चुनाव

WikiFX एक्सप्रेस

IC Markets Global
XM
FXTM
Saxo
Elite Capitals
EC Markets
FOREX.com
HFM
Galileo FX
Pepperstone

WikiFX ब्रोकर

GTCFX

GTCFX

विनियमन के साथ
XM

XM

विनियमन के साथ
FXCM

FXCM

विनियमन के साथ
FBS

FBS

विनियमन के साथ
FXTM

FXTM

विनियमन के साथ
Exness

Exness

विनियमन के साथ
GTCFX

GTCFX

विनियमन के साथ
XM

XM

विनियमन के साथ
FXCM

FXCM

विनियमन के साथ
FBS

FBS

विनियमन के साथ
FXTM

FXTM

विनियमन के साथ
Exness

Exness

विनियमन के साथ

WikiFX ब्रोकर

GTCFX

GTCFX

विनियमन के साथ
XM

XM

विनियमन के साथ
FXCM

FXCM

विनियमन के साथ
FBS

FBS

विनियमन के साथ
FXTM

FXTM

विनियमन के साथ
Exness

Exness

विनियमन के साथ
GTCFX

GTCFX

विनियमन के साथ
XM

XM

विनियमन के साथ
FXCM

FXCM

विनियमन के साथ
FBS

FBS

विनियमन के साथ
FXTM

FXTM

विनियमन के साथ
Exness

Exness

विनियमन के साथ

रेट की गणना करना

USD
CNY
वर्तमान दर: 0

रकम

USD

उपलब्ध है

CNY
गणना करें

आपको शायद यह भी पसंद आएगा

TrustFX

TrustFX

ArgusFX

ArgusFX

EIGENFX

EIGENFX

Tribely

Tribely

Broker Jet

Broker Jet

4e

4e

Zonelinesvantop Group Limited

Zonelinesvantop Group Limited

Ons Forex

Ons Forex

Desjardins

Desjardins

KENKE CAPITAL

KENKE CAPITAL