एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटReutersराष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि अब समय आ गया है कि अमरीका गोलन पहाड़ियों को
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राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने कहा है कि अब समय आ गया है कि अमरीका गोलन पहाड़ियों को इसराइल के इलाक़े के रूप में मान्यता दे.
1967 में सीरिया के साथ युद्ध के दौरान इसराइल ने गोलन पहाड़ियों को अपने क़ब्जे़ में ले लिया था. तभी से दोनों देशों के बीच इस इलाक़े को लेकर विवाद चला आ रहा है.
ट्रंप ने ट्वीट कर कहा कि ये पठार इसराइल और क्षेत्र की स्थितरता के लिए रणनीतिक और सुरक्षा के लिहाज़ से बेहद अहम है.
इसराइल ने 1981 में इस इलाक़े पर अपना दावा बताते हुए गोलन पहाड़ियों में अपना प्रशासन और क़ानून लागू किया था, लेकिन दुनियाभर के देशों ने इसे मान्यता नहीं दी थी.
सीरिया लगातार इस इलाक़े को वापस पाने के लिए लगातार कोशिशें कर रहा है.
इसराइल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने गोलन पहाड़ियों पर इसराइली इलाक़े के रूप में मान्यता देने के लिए राष्ट्रपति ट्रंप का शुक्रिया अदा किया है.
नेतन्याहू ने ट्वीट किया, “ऐसे समय में जब ईरान, इसराइल को बर्बाद करने के लिए सीरिया को प्लेटफॉर्म के रूप में इस्तेमाल कर रहा है, राष्ट्रपति ट्रंप ने गोलन हाइट्स पर इसराइली संप्रभुता को मान्यता दी है. राष्ट्रपति ट्रंप का शुक्रिया.”
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @netanyahu
At a time when Iran seeks to use Syria as a platform to destroy Israel, President Trump boldly recognizes Israeli sovereignty over the Golan Heights. Thank you President Trump! @realDonaldTrump
— Benjamin Netanyahu (@netanyahu) 21 मार्च 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @netanyahu
अमरीका के इस रुख़ पर अभी सीरिया सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
इसराइल और अरब में संघर्ष
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अरब और इसराइल के संघर्ष की छाया मोरक्को से लेकर पूरे खाड़ी क्षेत्र पर है. इस संघर्ष का इतिहास काफ़ी पुराना है. 14 मई 1948 को पहला यहूदी देश इसराइल अस्तित्व में आया.
यहूदियों और अरबों ने एक-दूसरे पर हमले शुरू कर दिए. लेकिन यहूदियों के हमलों से फ़लस्तीनियों के पाँव उखड़ गए और हज़ारों लोग जान बचाने के लिए लेबनान और मिस्र भाग खड़े हुए.
1948 में इसराइल के गठन के बाद से ही अरब देश इसराइल को जवाब देना चाहते थे.
जनवरी 1964 में अरब देशों ने फ़लस्तीनी लिबरेशन ऑर्गनाइज़ेशन, पीएलओ नामक संगठन की स्थापना की. 1969 में यासिर अराफ़ात ने इस संगठन की बागडोर संभाल ली. इसके पहले अराफ़ात ने 'फ़तह' नामक संगठन बनाया था जो इसराइल के विरुद्ध हमले कर काफ़ी चर्चा में आ चुका था.
1967 का युद्ध
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सीरिया और इसराइल के बीच पिस रहे गोलन हाइट्स के लोग
इसराइल और इसके पड़ोसियों के बीच बढ़ते तनाव का अंत युद्ध के रूप में हुआ.
यह युद्ध 5 जून से 11 जून 1967 तक चला और इस दौरान मध्य-पूर्व संघर्ष का स्वरूप बदल गया. इसराइल ने मिस्र को ग़ज़ा से, सीरिया को गोलन पहाड़ियों से और जॉर्डन को पश्चिमी तट और पूर्वी येरुशलम से धकेल दिया. इसके कारण पाँच लाख और फ़लस्तीनी बेघर हो गए.