एब्स्ट्रैक्ट:बीते कुछ दिनों से ट्विटर से लेकर फेसबुक और वॉट्सऐप पर कई समूहों में एक फ़ेक न्यूज़ वायरल हो रही है.
बीते कुछ दिनों से ट्विटर से लेकर फेसबुक और वॉट्सऐप पर कई समूहों में एक फ़ेक न्यूज़ वायरल हो रही है.
इस फ़ेक न्यूज़ में दावा किया गया है कि बीबीसी, सीआईए और आईएसआई के सर्वे के मुताबिक़ लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी की जीत मिलने जा रही है.
लेकिन ये पहला मौका नहीं है जब बीबीसी के नाम पर इस तरह की फ़ेक न्यूज़ वायरल हो रही हो.
इससे पहले विधानसभा और लोकसभा चुनावों के दौरान भी ऐसी झूठी ख़बरें प्रसारित हो चुकी है.
लेकिन बीबीसी हर मौके पर स्पष्ट करता आया है कि वह चुनावों को लेकर किसी तरह का सर्वे नहीं करता है और इस बार भी कोई सर्वे नहीं किया गया है.
लेकिन इसके बावजूद कुछ लोग या समूह बीबीसी की विश्वसनीयता का फायदा उठाने की फ़िराक़ में रहते हैं.
चुनाव ब्रॉडकास्ट को लेकर बीबीसी के संपादकीय दिशा निर्देश
चुनाव सर्वेक्षण को लेकर बीबीसी के संपादकीय दिशा निर्देश
क्या कहती है ये फ़ेक न्यूज़
कथित रूप से बीजेपी प्रवक्ता चौकीदार नीरू सिंह ज्ञानी के ट्विटर हैंडल से जारी इस ट्वीट में ये बात कही गई है.
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ख़ास बात ये है कि इस ट्वीट को प्रामाणिकता देने के लिए ट्वीट में बीबीसी न्यूज़ की वेबसाइट के होम पेज का लिंक भी लगाया गया है.
इसके अलावा ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने इस ट्वीट को शेयर किया है.
संयोग की बात है कि ऐसे कई लोगों के नामों के आगे चौकीदार लिखा हुआ पाया गया.
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इमेज कॉपीरइटTwitterबीबीसी ने इस बार भी बताया सच
हर साल की तरह बीबीसी ने इस बार भी सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया है कि बीबीसी इस तरह के सर्वे नहीं करता है.
बीबीसी हिंदी के संपादक मुकेश शर्मा ने भी फेसबुक पर लिखा है, “अक्सर चुनाव के समय देखा जाता है कि लोग ये दुष्प्रचार करते हैं कि बीबीसी ने 'चुनाव सर्वेक्षण' किया है और फलां पार्टी जीत रही है. एक बार फिर ऐसा दुष्प्रचार हो रहा है. इसमें बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव-2019 को लेकर बीबीसी ने एक सर्वे किया है जबकि बीबीसी ने ऐसा कोई सर्वे नहीं किया. बीबीसी ये स्पष्ट करना चाहता है कि न तो बीबीसी चुनावी सर्वेक्षण कराता है और न ही किसी एक पक्ष की ओर से किए गए 'इलेक्शन सर्वे' को प्रकाशित ही करता है. इससे पहले भी बीबीसी ने उसके नाम पर होने वाले चुनावी सर्वेक्षणों की विश्वसनीयता का खंडन किया है.”
“इसके बावजूद कुछ लोग बीबीसी की विश्वसनीयता का फ़ायदा उठाने की फ़िराक़ में रहते हैं. ऐसे मामले पहले भी देखे गए हैं जब राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान बीबीसी के नाम पर ऐसे चुनावी सर्वेक्षण चलाए गए मगर हक़ीक़त ये है कि बीबीसी ने ऐसा कोई सर्वेक्षण नहीं किया है.”
इससे पहले हरियाणा विधानसभा चुनाव और उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसी झूठी ख़बरें वायरल हो चुकी हैं.