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कमलनाथ के ओएसडी प्रवीण कक्कड़ के घर रेड में कितने पैसे मिले

WikiFX
| 2019-04-10 15:35

एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटAFPमध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने ओसएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) प्रवीण कक्कड़

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मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने ओसएसडी (ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) प्रवीण कक्कड़ को लेकर विवाद में हैं.

आयकर विभाग ने कक्कड़ के इंदौर स्थित घर में सात अप्रैल को तड़के सवा तीन बजे रेड मारी थी. कक्कड़ ने बीबीसी से कहा कि उनका परिवार सो रहा था तभी उनके घर के दो दरवाज़े तोड़ आईटी डिपार्टमेंट के अधिकारी घुस गए और घर की तलाशी ली.

आयकर विभाग की इस छापेमारी के बाद प्रदेश में विपक्षी भारतीय जनता पार्टी आक्रामक हो गई और मुख्यमंत्री कमलनाथ पर भ्रष्टाचार को संरक्षण देने का आरोप लगाया. आख़िर प्रवीण कक्कड़ के घर से आयकर विभाग ने क्या ज़ब्त किया?

आठ अप्रैल की रात नौ बजकर 23 मिनट पर इनकम टैक्स इंडिया ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर बताया, ''मध्य प्रदेश में हुई छापेमारी में संगठित अवैध धंधा सामने आया है. राजनीति, कारोबार और सरकारी सेवा से जुड़े अलग-अलग व्यक्तियों के पास से क़रीब 281 करोड़ रुपए बरामद किए गए हैं जिनका कोई हिसाब नहीं है.''

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सबसे दिलचस्प है कि आयकर विभाग से क़रीब दस घंटे पहले मध्य प्रदेश में बीजेपी के वरिष्ठ नेता कैलाश विजयवर्गीय ने एक ट्वीट किया. उस ट्वीट में कैलाश विजयवर्गीय ने कहा है, ''मप्र मे तबादला एक्सप्रेस पटरी से उतरने के कारण दुर्घटनाग्रस्त. जान का कोई नुक़सान नहीं लेकिन 281 करोड़ के माल के नुक़सान का अनुमान.''

विजयवर्गीय के इस ट्वीट को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि आख़िर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के आधिकारिक बयान से पहले कैलाश विजयवर्गीय को 281 करोड़ का आँकड़ा कहां से मिला? कांग्रेस का कहना है कि विजयवर्गीय के ट्वीट से साफ़ है कि यह रेड केंद्र सरकार के इशारे पर राजनीति से प्रेरित है.

प्रवीण कक्कड़ के घर से आयकर विभाग के अधिकारी क्या लेकर गए? कक्कड़ ने बीबीसी से कहा, ''मेरे घर से वो कुछ भी नहीं लेकर गए. न कोई नक़दी ले गए और न ही जूलरी. उन्हें कोई नक़दी नहीं मिली थी. जो जूलरी मिली उसके भी हिसाब थे. हमारे पास कुछ भी बेहिसाब नहीं था. हमने सबके दस्तावेज़ दिखाए हैं.''

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प्रवीण कक्कड़ ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में एक याचिका दाख़िल की है कि उनके घर में आयकर विभाग ने उन्हें अपमानित करने के लिए रेड मारी है और यह राजनीति से प्रेरित है. हाईकोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार कर लिया है और कक्कड़ की तरफ़ से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल कोर्ट में दलील देंगे.

प्रवीण कक्कड़ के बेटे का मध्य प्रदेश में बड़ा कारोबार है. वो सिक्यॉरिटी गार्ड एजेंसी, तीर्थाटन और कंप्यूटर से जुड़े कारोबार करते हैं. इसके साथ ही कक्कड़ परिवार की बड़ी कमाई प्रॉपर्टी के रेंट से भी है. कक्कड़ का कहना है कि इंदौर संभाग में आयकर विभाग ने उन्हें सबसे ज़्यादा कर चुकाने के लिए सम्मानित भी किया है.

कांग्रेस के मध्य प्रदेश प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी कहते हैं कि प्रवीण कक्कड़ के पास अपनी संपत्तियों का पूरा हिसाब है. वो कहते हैं, ''प्रवीण कक्कड़ ने सारे दस्तावेज़ दिखा दिए हैं. कुछ भी अवैध नहीं मिला है. बीजेपी नेता ने आयकर विभाग से पहले ही रेड में मिली रक़म का आँकड़ा कैसे बताया? साफ़ है कि यह छापा राजनीति से प्रेरित है. कक्कड़ को आयकर विभाग ने ही सम्मानित किया है. आयकर विभाग को अब चुनाव के वक़्त अचानक रेड की ज़रूरत क्यों पड़ी?''

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आख़िर कैलाश विजयवर्गीय ने आयकर विभाग से पहले ट्वीट कैसे किया? इस सवाल के जवाब में मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय कहते हैं, ''इसका कोई मतलब नहीं है कि कैलाश जी ने पहले ट्वीट कैसे किया. कमलनाथ सरकार जवाब दे कि ट्रांसपोर्ट विभाग में लूट क्यों मची है? बरामद हुए पैसे कहां से आए?''

पूरे मामले में एक और व्यक्ति का नाम आया है और उनका नाम है अश्विन शर्मा. शर्मा के भोपाल स्थित घर पर भी आईटी डिपार्टमेंट ने रेड मारी है. अश्विन शर्मा को बीजेपी का क़रीबी बताया जा रहा है. भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार डॉ राकेश पाठक कहते हैं कि अश्विन शर्मा के बाद बीजेपी बैकफुट पर आ गई है.

पाठक कहते हैं, ''अश्विन शर्मा को शिवराज सिंह चौहान के सरकार में कई कॉन्ट्रैक्ट मिले. उनके एनजीओ को शिवराज सरकार ने ख़ूब काम दिए हैं और शर्मा इन्हीं के राज में फले-फूले हैं. चुनाव के वक़्त में यह रेड राजनीति से प्रेरित है. हालांकि बीजेपी को इसका कोई फ़ायदा नहीं मिलेगा. जहां तक प्रवीण कक्कड़ की बात है तो पिछले तीन महीने में कक्कड़ अमीर नहीं बने हैं. पिछले 15 सालों से बीजेपी की सरकार थी और कक्कड़ के बेटे का करोबार बीजेपी सरकार में भी चल रहा था.''

इस बात को प्रवीण कक्कड़ भी कहते हैं कि उनके बेटे का कारोबार कोई कमलनाथ के कार्यकाल में नहीं स्थापित हुआ है. वो कहते हैं, ''मेरे परिवार का बिज़नेस शिवराज की सरकार में भी था.''

हालांकि बीजेपी अश्विन शर्मा से संबंधों को ख़ारिज कर रही है. बीजेपी प्रवक्त दीपक विजयवर्गीय कहते हैं, ''यह बिल्कुल बकवास है कि अश्विन शर्मा का बीजेपी से संबंध है. अगर हमारी सरकार में उन्हें ठेके मिले हैं तो देने वालों से बात कीजिए.''

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार इन छापेमारियों को लेकर चुनाव आयोग के अधिकारियों ने राजस्व सचिव एबी पांडे और सेंट्रल बोर्ड ऑफ़ डायरेक्ट टैक्सेस के चेयरमैन पीसी मोडी से मुलाक़ात की है. विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी कि सत्ताधारी बीजेपी एजेंसियों का इस्तेमाल चुनावी फ़ायदे के लिए कर रही है. अब चुनाव आयोग ने कहा है कि एजेंसियां रेड करने से पहले उन्हें सूचित करें.

इमेज कॉपीरइटFB/KAMALNATHप्रवीण कक्कड़ कौन हैं?

कक्कड़ मध्य प्रदेश पुलिस के पूर्व अधिकारी हैं. वो आरटीओ विभाग में भी काम कर चुके हैं. मध्य प्रदेश की राजनीति पर क़रीब से नज़र रखने वालों का कहना है कि प्रवीण कक्कड़ ने आरटीओ विभाग में रहकर ख़ूब कमाई की थी. कक्कड़ कमलनाथ के ओएसडी बनने से पहले यूपीए में मंत्री रहे कांतिलाल भूरिया के ओएसडी थे.

कहा जाता है कि कक्कड़ जब कांतिलाल भूरिया के ओएसडी थे तब कई भूमि सौदे में शामिल थे. जब पिछले साल के आख़िर में कांग्रेस की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कक्कड़ को अपना ओएसडी नियुक्त किया. नोटबंदी के दौरान कक्कड़ ने बैंक में 80 लाख रुपए जमा किए थे. कहा जा रहा है कि तब से ही कक्कड़ निशाने पर थे क्योंकि आयकर विभाग ने उनसे इस नक़दी का हिसाब मांगा था और जो जवाब मिला उससे वो संतुष्ट नहीं था.

फ़्रीप्रेस जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भोपाल में प्रतीक जोशी और अश्विन शर्मा के घर से 16 करोड़ रुपए मिले हैं. अश्विन से पत्रकारों ने पूछा कि उनका मुख्यमंत्री कमलनाथ से क्या संबंध है तो उन्होंने कहा था, ''मैं बीजेपी का आदमी हूं.''

प्रवीण कक्कड़ और अश्विन शर्मा में क्या संबंध हैं? इस सवाल के जवाब में कक्कड़ ने कहा कि वो अश्विन शर्मा को जानते हैं लेकिन कोई संबंध नहीं है. उन्होंने कहा कि दोनों की उम्र में भी काफ़ी फ़र्क़ है. कक्कड़ ने कहा कि अश्विन शर्मा 33 या 34 साल के हैं जबकि उनकी उम्र 50 के आसपास है.

एक सवाल ये भी उठ रहा है कि आईटी डिपार्टमेंट दिल्ली से सीआरपीएफ़ के जवानों को लेकर क्यों आया? भोपाल के वरिष्ठ पत्रकार विजय दत्त श्रीधर कहते हैं, ''आईटी डिपार्टमेंट को राज्य पुलिस से मदद लेनी चाहिए थी लेकिन वो दिल्ली से सीआरपीएफ़ के जवानों को लेकर आया. ये तो संघीय ढांचा का सम्मान नहीं है.''

श्रीधर दत्त का मानना है कि चुनाव के वक़्त इस छापेमारी पर शक होना लाज़िमी है.

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