एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesकेंद्रीय रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारतीयों को 'काम' और 'र
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केंद्रीय रेल और कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारतीयों को 'काम' और 'रोज़गार' का फ़र्क़ मालूम है.
यह बात उन्होंने इकोनॉमिक टाइम्सको दिए एक इंटरव्यू में कही.
रोज़गार के आंकड़ों में गिरावट और नौकरियों की कमी के सवाल पर पीयूष गोयल ने कहा, “हमें नौकरी और काम का फ़र्क़ समझने की ज़रूरत है. मुझे यक़ीन है कि भारत के लोग नौकरी और काम के बीच का अंतर समझते हैं. सच्चाई ये है कि काम मौजूद है. कुछ लोग भारत में बढ़ती बेरोज़गारी की बात जिस तरह कर रहे हैं, उस हिसाब से तो अब सड़कों पर दंगे हो जाने चाहिए थे. क्या कोई देश बिना काम पैदा किए 7-8 फ़ीसदी की दर से आर्थिक वृद्धि कर सकता है?”
गोयल ने कहा, “हमारी सरकार ने लोगों को ख़ुद का रोज़गार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है. अब हमें नौकरी की संकुचित परिभाषा के दायरे से बाहर निकलना होगा.”
पिछले महीने नेशनल सैंपल सर्वे ऑफ़िस (NSSO) के लीक हुए आंकड़ों से पता चला था कि प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में लगभग दो करोड़ नौकरियां ख़त्म हुई हैं.
साल 2011-12 में काम करने वाले पुरुषों की संख्या 30. 4 करोड़ थी जो साल 2017-18 में घटकर 28.6 करोड़ हो गई.
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इमेज कॉपीरइटGetty Imagesमसूद अज़हर को लेकर चीन पर दबाव
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक़ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में प्रतिबंधित पाकिस्तानी चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अज़हर के ख़िलाफ़ आवाज़ें उठनी शुरू हो गई हैं.
सुरक्षा परिषद् के तीन स्थायी सदस्य- अमरीका, ब्रिटेन और फ़्रांस मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित किए जाने के पक्ष में हैं.
अख़बार सूत्रों के हवाले से लिखता है कि तीनों देशों ने चीन को अज़हर पर अपना रुख़ साफ़ करने के लिए 23 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है. इससे पहले चीन सुरक्षा परिषद में मसूद अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव को चार बार वीटो कर चुका है.
तीनों देशों ने मिलकर चीन से तकनीकी आधार पर इस प्रस्ताव से बाधा हटाने के लिए कहा है. सुरक्षा परिषद् की 1267 प्रतिबंध समिति अगले कुछ दिनों में अज़हर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए एक बार फिर नए सिरे से प्रस्ताव ला सकती है.
14 फ़रवरी को भारत-प्रशासित कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ़ के क़ाफ़िले पर हमले के लिए भारत मसूद अज़हर की अगुवाई वाले जैश-ए-मोहम्मद को ज़िम्मेदार ठहराता है. इस हमले में 40 भारतीय जवान मारे गए थे.
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इमेज कॉपीरइटTWITTERImage caption जस्टिस चंद्रचूड़
फ़िल्म रोकने की वजह से 20 लाख का जुर्माना
भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यंग्यात्मक फ़िल्म 'भबिष्योतेर भूत' पर रोक लगाने की वजह से पश्चिम बंगाल सरकार पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है.
यह ख़बरटाइम्स ऑफ़ इंडियामें छपी है.
अदालत ने देश में बढ़ती असहिष्णुता पर चिंता जताई और मतभिन्नता वाली आवाज़ों को दबाने की कोशिशों पर भी अपनी राय ज़ाहिर की.
जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की पीठ ने अपने फ़ैसले में कहा कि कलाकारों को अभिव्यक्ति और आलोचना की पूरी आज़ादी है. अदालत ने ये भी कहा कि सरकारी एजेंसियां कलाकारों की बोलने की आज़ादी में दख़ल नहीं दे सकती और न ही उन पर किसी तरह का लगाम लगा सकती है.
फ़ैसला सुनाते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने लिखा, “हमारा संविधान सत्ता में बैठे लोगों को असहमति या विरोध की आवाज़ें कुचलने की अनुमति नहीं देता है.”
अदालत ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने अपनी ताक़त का दुरुपयोग करते हुए एक ऐसी फ़िल्म की स्क्रीनिंग रुकवाई जिसे सेंसर बोर्ड ने मंज़ूरी दी थी.
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इमेज कॉपीरइटGetty Imagesजल्दी मिट गई वोट की स्याही!
हिंदुस्तान टाइम्समें ख़बर है कि इस बार कई मतदाताओं ने शिकायत की कि वोट देने के बाद उनके उंगली की स्याही आसानी से छूट गई.
लोगों ने सोशल मीडिया पर तस्वीरें और वीडियो भी पोस्ट किए हैं. अमूमन ये स्याही कई दिनों तक टिकती है लेकिन ऐसा शायद पहली बार हुआ है.
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