एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटSM Viral Post/Getty Imagesलोकसभा चुनाव-2019 की दूसरे चरण की वोटिंग से पहले कर्नाटक में ब
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लोकसभा चुनाव-2019 की दूसरे चरण की वोटिंग से पहले कर्नाटक में बीजेपी और कांग्रेस पार्टी एक विवादास्पद चिट्ठी को लेकर भिड़ गये हैं जो कि फ़र्ज़ी बताई जा रही है.
सूबे के गृह-मंत्री एमबी पाटिल ने पुलिस से इस चिट्ठी की लिखित शिकायत की है जिसपर ख़ुद उन्हीं के हस्ताक्षर हैं.
एमबी पाटिल ने ट्वीट किया है, “ये लेटर फ़र्ज़ी है. मेरी संस्था के नाम का और मेरे हस्ताक्षर का ग़लत इस्तेमाल हुआ है. जिन्होंने भी ये जालसाज़ी की है और इसे छापा है, मैं उनके ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई करने वाला हूँ.”
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @MBPatil
ಬಿ.ಎಲ್.ಡಿ.ಇ ಸಂಸ್ಥೆಯ ಖೊಟ್ಟಿ ಲೆಟರ್ಹೆಡ್ ಮತ್ತು ನಕಲಿ ಸಹಿ ಬಳಸಿ ಎಐಸಿಸಿ ಅಧ್ಯಕ್ಷೆ ಸೋನಿಯಾಗಾಂಧಿಗೆ ಬರೆದಿರುವ ಪತ್ರದ ಕುರಿತು ವಿವರವಾಗಿ ತನಖೆ ನಡೆಸುವಂತೆ ಒತ್ತಾಯಿಸಿ, ವಿಜಯಪುರದ ಆದರ್ಶನಗರ ಠಾಣೆಯಲ್ಲಿ ದೂರು ದಾಖಲಿಸಲಾಯಿತು. pic.twitter.com/zcDt5CJEd3
— M B Patil (@MBPatil) 16 अप्रैल 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @MBPatil
कर्नाटक सरकार में होने के अलावा एमबी पाटिल 'बीजापुर लिंगायत डिस्ट्रिक्ट एजुकेशनल एसोसियेशन'(BLDEA)के अध्यक्ष भी हैं और इसी संस्था के कथित लेटर पैड पर छपी पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के नाम की एक चिट्ठी इस विवाद का कारण बनी है.
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मंगलवार सुबह कर्नाटक बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से यह चिट्ठी ट्वीट की गई थी.
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कर्नाटक बीजेपी ने अपने ट्वीट में लिखा, “कांग्रेस का पर्दाफ़ाश. सोनिया गांधी के सीधे निर्देश के तहत पूरे लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय को विभाजित करने की कोशिश. कांग्रेस नेता एमबी पाटिल द्वारा सोनिया गांधी को लिखी गई ये चिट्ठी इस बात का ख़ुलासा करती है कि सोनिया गांधी कर्नाटक में हिंदू समुदाय को कैसे विभाजित करना चाहती थीं.”
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इमेज कॉपीरइटTwitter/@BJP4Karnatakaचिट्ठी में क्या लिखा है?
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की मंगलवार को कर्नाटक में हुई चुनावी जनसभा से क़रीब दो घंटे पहले कर्नाटक बीजेपी ने यह विवादास्पद चिट्ठी ट्वीट की.
इस चिट्ठी पर 10 जुलाई 2017 की तारीख़ डली हुई है. पत्र क्रमांक लिखा है. एमबी पाटिल के हस्ताक्षर हैं और चिट्ठी में सोनिया गांधी के लिए लिखा है:
“हम आपको ये विश्वास दिलाते हैं कि कांग्रेस पार्टी 'हिंदुओं को बाँटों और मुसलमानों को जोड़ो' की नीति अपनाकर 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करेगी.”
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“इस मक़सद को पाने के लिए कांग्रेस पार्टी लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय के बीच व्याप्त मतभेदों का फ़ायदा उठाएगी.”
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लेकिन कर्नाटक कांग्रेस ने तुरंत बीजेपी द्वारा जारी की गई इस चिट्ठी का जवाब दिया.
उन्होंने ट्वीट किया कि “कर्नाटक बीजेपी प्रोपेगेंडा फैला रही है. इसलिए पार्टी एक पुराना लेटर निकाल लाई है जो कि पहले ही झूठा साबित किया जा चुका है.”
कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष दिनेश गुंडू राव ने अपने आधिकारिक बयान में दावा किया कि वो चुनाव आयोग से कर्नाटक बीजेपी के इस फ़ेक ट्वीट की शिकायत कर रहे हैं.
छोड़िए ट्विटर पोस्ट @INCKarnataka
A fake propaganda article by fake news factory Postcard which was deleted in 2018 by them is now being recycled by desperate and rattled @BJP4Karnataka as they know they will be reduced to single digits in Karnataka.
PS: @ceo_karnataka @ECISVEEPhttps://t.co/XLJUTthCMF https://t.co/m6LSJo09h5
— Karnataka Congress (@INCKarnataka) 16 अप्रैल 2019
पोस्ट ट्विटर समाप्त @INCKarnataka
2018 में चिट्ठी को 'फ़ेक' बताया गया
इंटरनेट सर्च से पता चलता है कि 12 मई 2018 को कर्नाटक के विधानसभा चुनाव की वोटिंग से पहले इस चिट्ठी से जुड़ी कई ख़बरें प्रकाशित हुई थीं.
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इन रिपोर्ट्स के अनुसार पिछले साल 'पोस्ट कार्ड न्यूज़' नाम की एक वेबसाइट ने यह चिट्ठी छापी थी जिसके संस्थापक मुकेश हेगड़े फ़ेक न्यूज़ फैलाने के आरोप में जेल की सज़ा काट चुके हैं.
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कांग्रेस नेता एमबी पाटिल ने 2018 में भी इस चिट्ठी को फ़र्ज़ी बताया था जिसके बाद 'पोस्ट कार्ड न्यूज़' वेबसाइट ने इस फ़ेक चिट्ठी को हटा दिया था.
लेकिन बीजेपी के ट्वीट के बाद यह चिट्ठी एक बार फिर सोशल मीडिया पर सर्कुलेट की जा रही है.
मंगलवार को जब कांग्रेस ने बीजेपी के ट्वीट पर सवाल उठाया तो पार्टी ने लिखा, “जिस चिट्ठी में एमबी पाटिल ने लिंगायत और वीरशैव लिंगायत समुदाय के लोगों को बाँटने की बात लिखी थी, उसे कन्नड अख़बार विजयवाणी ने छापा है. तो क्या कांग्रेस का कहना है कि मीडिया फ़र्ज़ी ख़बरें फैला रहा है?”
इमेज कॉपीरइटTwitter/@BJP4Karnatakaकन्नड अख़बार की भूमिका
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कन्नड भाषा के दैनिक अख़बार विजयवाणी ने 16 अप्रैल 2019 के अपने सभी संस्करणों में दूसरे पेज पर इस चिट्ठी को छापा है.
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अख़बार ने शीर्षक लिखा है, “एमबी पाटिल ने एक और विवाद भड़काया”. एमबी पाटिल और सोनिया गांधी की तस्वीर अख़बार ने इस्तेमाल की है.
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साथ ही अंग्रेजी में लिखी गई इस चिट्ठी का कन्नड तर्जुमा भी अख़बार ने पब्लिश किया है.
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कर्नाटक के बैंगलुरु शहर में मौजूद बीबीसी के सहयोगी पत्रकार इमरान क़ुरैशी ने बताया कि कन्नड अख़बार विजयवाणी कर्नाटक के कई शहरों में पढ़ा जाता है.
इमरान क़ुरैशी ने बताया कि ये विवादास्पद चिट्ठी मई 2018 में भी चर्चा का विषय बनी थी.
लेकिन इस पुरानी चिट्ठी को जिसे एक साल पहले भी कांग्रेस ने फ़ेक बताया था, उसे विजयवाणी अख़बार ने लोकसभा चुनाव के लिए 18 अप्रैल को होने वाले मतदान से पहले दोबारा क्यों प्रकाशित किया? अख़बार के मैनेजमेंट और एडिटर ने इसका कोई जवाब हमें नहीं दिया. अख़बार की तरफ़ से अगर हमें कोई जवाब मिलता है तो उसे हम इस कहानी में जोड़ेंगे.
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