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अमरीका ने ओमान की खाड़ी में दो तेल टैंकरों पर हुए हमले के लिए ईरान को जिम्मेदार बताया है.
अमरीकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ओमान की खाड़ी में तेल के दो टैंकरों पर हुए 'बिना उकसावे के हुए हमले' के लिए ईरान को जिम्मेदार ठहराया है.
पोम्पियो ने कहा है कि हमले में इस्तेमाल हुए हथियारों को लेकर मिली खुफिया सूचना के आधार पर अमरीका ने ये अंदाज़ा लगाया है.
इसके पहले ईरान के एक अधिकारी ने बीबीसी से कहा था, “धमाके से ईरान का कोई संबंध नहीं है.” तेल टैंकरों पर हमला गुरुवार सुबह हुआ था.
जापान के स्वामित्व वाले टैंकर कोकुका करेजियस और नार्वे के टैंकर फ्रंट अल्टायर पर हुए धमाके के बाद चालक दल के कई सदस्यों को बचाया गया.
ईरान और अमरीका दोनों का कहना है कि उन्होंने चालक दल के सदस्यों को बचाया.
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दो तेल टैंकरों पर गुरुवार को हुए हमले के बाद तेल की कीमतों में करीब चार फ़ीसदी का इजाफा हुआ है.
जहां धमाका हुआ, वो दुनिया का सबसे व्यस्त तेल मार्ग है. गुरुवार के धमाके के करीब एक महीने पहले संयुक्त अरब अमीरात के चार तेल टैंकरों पर हमला हुआ था.
मई हुए उस हमले की किसी समूह या देश ने जिम्मेदारी नहीं ली . उस हमले में भी कोई हताहत नहीं हुआ था.
उस वक़्त भी अमरीका ने ईरान पर आरोप लगाया था लेकिन ईरान ने हमले में कोई भूमिका होने से इनकार किया था और आरोपों को ग़लत बताया था.
ओमान की खाड़ी में गुरुवार को हुए हमले के बाद तेल की कीमतों में करीब चार फ़ीसदी का इजाफा हुआ है.
ओमान की खाड़ी होरमुज़ के करीब है जहां से सैंकड़ों लाख डॉलर का तेल गुजरता है.
इमेज कॉपीरइटGetty Imagesपोम्पियो ने क्या कहा?
अमरीकी विदेश मंत्री पोम्पियो ने वाशिंगटन में कहा, “अमरीका का आकलन है कि इस हमले के लिए ईरान जिम्मेदार है.”
उन्होंने कहा, “ये आकलन खुफ़िया जानकारी, हमले में इस्तेमाल हथियार, इस ऑपरेशन को अमल में लाने में जिस विशेषज्ञ जानकारी की जरूरत है और ईरान की ओर से हाल में जहाजों पर किए गए ऐसे ही हमलों के आधार पर किया गया है. तथ्य ये भी है कि इस क्षेत्र में सक्रिय किसी भी समूह के पास वो संसाधन और महारथ नहीं कि वो ऐसी कार्रवाई कर सके.”
उन्होंने आगे कहा, “ये ईरान और उसके सहयोगियों की ओर से अमरीका और उसके सहयोगियों के हितों पर किए जा रहे हमलों की कड़ी का ताज़ा मामला है. ”
पोम्पियो ने कहा, “कुल मिलाकर ये बिना उकसावे वाले हमले अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सीधे तौर पर ख़तरा हैं. ये नौसंचालन की आज़ादी पर निर्मम हमले के तरह हैं. ये ईरान की ओर से तनाव बढ़ाने का अभियान है जिसे मंजूर नहीं किया जा सकता है.”
इमेज कॉपीरइटReutersविस्फोट के बारे में क्या जानकारी मिली है?
नार्वे मैरी टाइम अथॉरिटी ने गुरुवार को जानकारी दी थी कि फ्रंट अल्टायर पर 'हमला' हुआ है और इस पर तीन धमाके हुए.
फ़्रंट अल्टायर को ताइवान की सरकारी तेल रिफ़ाइनरी कंपनी सीपीसी कॉर्पोरेशन ने किराए पर लिया हुआ है. सीपीसी कॉर्पोरेशन के प्रवक्ता वू आई-फ़ांग ने कहा है कि इसमें 75 हज़ार टन तेल था और 'ऐसी आशंका है कि टॉरपीडो (सबमरीन की मिसाइल) से हमला किया गया है.' हालांकि, इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हो पाई है.
वहीं, दूसरी अपुष्ट रिपोर्टों में कहा गया है कि यह एक 'माइन अटैक' भी हो सकता है.
जहाज़ के मालिक फ़्रंटलाइन का कहना है कि मार्शल द्वीप के झंडे लगे जहाज़ों पर आग लगी. ईरानी मीडिया ने इसके डूबने की बात कही थी जिसे कंपनी ने ख़ारिज कर दिया है.
कोकुका करेजियस का संचालन करने वाली बीएसएम शिप मैनेजमेंट कंपनी का कहना है कि क्रू ने जहाज़ छोड़ दिया था और उसे पास से जा रहे जहाज़ ने बचाया.
एक प्रवक्ता ने कहा है कि टैंकर में मेथानॉल था और उसके डूबने का ख़तरा नहीं है.
इमेज कॉपीरइटAFPजहाज़ बचाने के लिए कौन आया?
ईरान के सरकारी मीडिया ने कहा है कि ईरान ने क्रू के सदस्यों को बचाया है और उनको जास्क के बंदरगाह पर ले जाया गया है.
बहरीन में मौजूद अमरीका की फ़िफ्थ फ़्लीट ने कहा है कि उसने मदद के लिए घटनास्थल पर यूएसएस बैनब्रिज को भेजा है.
प्रवक्ता जोश फ्रे ने एक बयान में कहा है, “अमरीकी नौसेना के बलों को क्षेत्र में दो अलग-अलग चिंताजनक कॉल आई थीं.”
अमरीकी नौसेना के मुताबिक कोकुका टैंकर के चालक दल के 29 सदस्यों को बैनब्रिज पर लाया गया
इमेज कॉपीरइटEPAअमरीका और ईरान के बीच क्यों है तनाव?
साल 2018 में अमरीका ने 2015 में ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने के लिए हुई संधि ने बाहर निकलने का फ़ैसला किया.
अमरीका के करीबी सहयोगियों समेत कई देशों ने इस कदम की कड़ी आलोचना की थी.
मई में राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ईरान पर अमरीकी प्रतिबंधों को सख्त कर दिया था. उनके निशाने पर ईरान का तेल सेक्टर था.
इसके बाद ईरान ने कहा कि वो परमाणु संधि के तहत किए गए अपने कुछ वादों को स्थगित कर रहा है.
हाल के महीनों में अमरीका ने खाड़ी में अपनी सेना की मौजूदगी बढ़ा दी है. अमरीका ने इस कदम की वजह ईरान की ओर से हमले के ख़तरा बताया है.
ईरान ने इस कदम को अमरीका का आक्रामक बर्ताव बताया है.
इमेज कॉपीरइटEuropean Photopress Agencyहमले पर प्रतिक्रियाएं
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटरेस ने गुरुवार को हुए धमाकों की निंदा की है.
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में कहा कि दुनिया 'खाड़ी क्षेत्र में बड़ा टकराव बर्दाश्त नहीं कर सकती है.'
यूरोपीय यूनियन ने अधिकतम संयम दिखाने की अपील की है. वहीं रूस का कहना है कि किसी भी पक्ष को नतीजे पर नहीं पहुंचना चाहिए और न ही इस घटना को लेकर ईरान पर दबाव बनाना चाहिए. ईरान को रूस का सहयोगी माना जाता है.