एब्स्ट्रैक्ट:इमेज कॉपीरइटGetty Imagesप्लास्टिक के बढ़ते कचरे से पूरी दुनिया हलकान है. इससे निपटने के तरीक़े तलाशे
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प्लास्टिक के बढ़ते कचरे से पूरी दुनिया हलकान है. इससे निपटने के तरीक़े तलाशे जा रहे हैं. अब कुछ कंपनियों ने इसका डिजिटल समाधान खोजा है, जो इस परेशानी को ख़त्म करने की दिशा में बड़ा क़दम साबित हो सकता है.
इस साल जनवरी में पूर्वी एशियाई देश फ़िलीपींस की मनीला बे यानी मनीला की खाड़ी में बहुत से लोग समंदर से प्लास्टिक का कचरा निकाल रहे थे.
मनीला की खाड़ी का इस कचरे से इतना बुरा हाल है कि समुद्र तट दिखना ही बंद हो गया था. लेकिन, कुछ घंटों की सफ़ाई के बाद ये इलाक़ा एकदम साफ़-सुथरा दिखने लगा. ऐसा कि स्थानीय लोगों की आंखों में आंसू आ गए.
मनीला की खाड़ी में सफ़ाई की शुरुआत 27 जनवरी को हुई थी. क़रीब पांच हज़ार लोगों ने खाड़ी में उतरकर, उसमें जमा 45 टन कचरा निकाला.
ये पूरे फिलीपींस में पर्यावरण संरक्षण के एक विशाल अभियान की शुरुआत थी. लेकिन, इससे क़रीब दो महीने पहले फिलीपींस में बड़ी शांति से एक इंक़लाब आ रहा था.
दिसंबर 2018 के पहले हफ़्ते में अमरीका की एक कंपनी बाउंटीज़ नेटवर्क ने मनीला की खाड़ी से स्थानीय लोगों की मदद से 3 टन कचरा निकाला था.
ये कचरा उन्होंने स्थानीय मछुआरों की मदद से निकाला था. इस काम का मेहनताना मछुआरों को डिजिटल करेंसी के ज़रिए दिया गया था.
डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल
फिलीपींस के ज़्यादातर मछुआरे बैंकिंग सिस्टम से नहीं जुड़े हैं. उनके लिए क्रिप्टोकरेंसी से भुगतान एकदम नई बात थी. ये उनकी तरक़्क़ी में बड़ा रोल निभाने वाला क़दम हो सकता है.
ग़रीब समुदाय इस डिजिटल करेंसी को पैसों में तब्दील कर सकते हैं. इस डिजिटल करेंसी की मदद से प्लास्टिक के कचरे की विशाल समस्या से लड़ने में भी काफ़ी मदद मिलेगी.
प्लास्टिक की रिसाइकिलिंग में डिजिटल करेंसी का इस्तेमाल पिछले साल से ही शुरू हुआ है.
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कनाडा के वैंकूवर शहर की कंपनी प्लास्टिक बैंक ने भी मनीला की खाड़ी जैसा एक प्रोजेक्ट फिलीपींस के ही नागा शहर में प्रयोग के तौर पर किया था.
कंपनी ने वहां पर प्लास्टिक का कचरा जमा करने का एक केंद्र बनाया था. लोग वहां कचरा जमा कर के उसके बदले में डिजिटल करेंसी ले सकते थे.
कंपनी के संस्थाप शॉन फ्रैंकसन कहते हैं कि जल्द ही वो मनीला की खाड़ी के आस-पास तीन ऐसे प्लास्टिक कलेक्शन सेंटर खोलने वाले हैं.
कचरा साफ़ करने के बदले में डिजिटल करेंसी देने वाली इन दोनों ही कंपनियों ने फिलीपींस को ही क्यों चुना, इसकी वजह भी ख़ास है.
फिलीपींस, समु्द्र में कचरा फैलाने वाला दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है. कचरा फैलाने के मामले में केवल चीन और फिलीपींस ही उससे आगे हैं.
दुनिया भर में जमा होने वाला 80 फ़ीसद प्लास्टिक का कचरा विकासशील देशों के ग़रीब समुदायों से आता है. आईबीएम कंपनी की रिसर्च में ये बात सामने आई है.
यानी इन ग़रीबों का सशक्तिकरण कर के कचरे की समस्या का समाधान निकाला जा सकता है. इसीलिए बाउंटीज़ नेटवर्क ने थाईलैंड और इंडोनेशिया में भी प्लास्टिक का कचरा समंदर से साफ़ करने के ऐसे प्रोजेक्ट शुरू किए हैं. वहीं प्लास्टिक बैंक ने भी इंडोनेशिया और कैरेबियाई देश हैती में ऐसे कार्यक्रम शुरू किए हैं.
तकनीक की स्वीकार्यता
फिलीपींस की एक ख़ूबी ये है कि यहां के लोग नई तकनीक को बड़ी तेज़ी से अपना लेते हैं. इसलिए यहां डिजिटल करेंसी की मदद से ऐसे प्रयोग की सबसे ज़्यादा गुंजाइश थी.
बाउंटीज़ नेटवर्क ने स्थानीय डिजिटल पेमेंट कंपनी कॉइन्स की मदद से स्थानीय लोगों को भुगतान किया था. जिसे वो नक़द पैसे में भुना सकते हैं.
कचरा साफ़ करने के बदले में डिजिटल करेंसी से भुगतान, प्रदूषण से लड़ने का सबसे नया विकल्प है. जो ग़रीब हैं, वही सबसे ज़्यादा प्रदूषण भी फैलाते हैं और वो ही सबसे ज़्यादा इसके शिकार भी होते हैं. ऐसे में कचरे की समस्या से निपटने के साथ-साथ डिजिटल करेंसी उन्हें सशक्त भी बनाएगी.
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जो मछुआरे पिछले साल दिसंबर में बाउंटीज़ नेटवर्क के अभियान में शामिल हुए थे. उन्होंने मनीला की खाड़ी से प्लास्टिक, भीगे हुए गद्दे, नैपी, स्कूल के कचरे, जूते, बच्चों के खिलौने और चप्पल, समुद्र से निकाले थे. इस कचरे ने पानी को ज़हरीला बना दिया था. किसी भी सरकार के लिए ऐसा कचरा बड़ी चुनौती होता है.
डिजिटल भुगतान का सबसे बड़ा फ़ायदा ये है कि स्थानीय समुदायो को प्लास्टिक की रिसाइकिलिंग और इसके कम इस्तेमाल का सबक़ भी मुफ़्त में पढ़ाया जाता है. जो किसी भी कचरा सफ़ाई अभियान से बड़ा काम है.
बाउंटीज़ नेटवर्क की प्रोजेक्ट मैनेजर क्रिस्टिना गैलानो कहती हैं, 'ये एक तीर से दो शिकार करने जैसा है. हम लोगों से सफ़ाई भी करा रहे हैं और उन्हें पर्यावरण संरक्षण का पाठ भी पढ़ा रहे हैं. ताकि वो ये समझें कि साफ़ पर्यावरण का फ़ायदा लंबे समय तक महसूस होगा. उन्हें ज़्यादा तादाद में मछलियां मिलेंगी.'
छोटे कदम बड़े बदलाव
वहीं, प्लास्टिक बैंक इस अभियान में बड़े कारोबारी घरानों को जोड़ने की कोशिश भी कर रहा है. शॉन फ्रैंकसन कहते हैं कि बहुत सी कंपनियां अपना कचरा कम करने के लिए हमारी मदद ले रही हैं. इससे उनका पैसा भी बचेगा और पर्यावरण को भी कम नुक़सान होगा. कंपनी, बहुत सारी जगहों और दुकानों को भी अपने अभियान से जोड़ रही है. जो इस्तेमाल के बाद बचे प्लास्टिक के कचरे को जमा करने का काम करेंगे. प्लास्टिक वापस करने के बदले में ग्राहकों को डिजिटल पेमेंट का ऑफ़र दिया जा रहा है.
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कई मामलों में इस डिजिटल पेमेंट से ख़र्च आधा रह जाएगा. क्योंकि इसमें किसी तीसरी संस्था की मदद से भुगतान की ज़रूरत नहीं है. तो, उसके कमीशन का ख़र्च भी बचेगा.
इसकी मिसाल बाउंटीज़ नेटवर्क का मनीला बे प्रोजेक्ट है. जिसमें केवल 700 डॉलर में तीन टन कचरा समुद्र से निकाला गया. ये स्थानीय लोगों को मिलने वाली दिन भर की मज़दूरी से तीन गुनी रक़म थी. अगर आधिकारिक रूप से ये अभियान चलाया गया होता, तो इसी काम में 10 हज़ार 500 डॉलर ख़र्च होते.
ऐसे पायलट प्रोजेक्ट से हो रहे छोटे-छोटे बदलाव बहुत कारगर हैं. नक़दी के मुक़ाबले डिजिटल करेंसी का एक फ़ायदा ये भी है. इसकी शुरुआत मनीला की खाड़ी को साफ़ करने से हुई है.
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