एब्स्ट्रैक्ट:BBC News, हिंदीसामग्री को स्किप करेंसेक्शनहोम पेजकोरोनावायरसभारतविदेशमनोरंजनखेलविज्ञान-टेक्नॉलॉजीसोश
BBC News, हिंदीसामग्री को स्किप करेंसेक्शनहोम पेजकोरोनावायरसभारतविदेशमनोरंजनखेलविज्ञान-टेक्नॉलॉजीसोशलवीडियोहोम पेजकोरोनावायरसभारतविदेशमनोरंजनखेलविज्ञान-टेक्नॉलॉजीसोशलवीडियोब्रेग्ज़िट के बाद ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में ऐतिहासिक डील, जानिए सबकुछ58 मिनट पहलेइमेज स्रोत, Getty Imagesइमेज कैप्शन, ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और यूरोपीय कमीशन की प्रमुख उज़ूला फ़ॉन दे लायनद डील इज़ डन. यानी डील हो गई है. ब्रितानी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने क्रिसमस की पूर्वसंध्या पर गुरुवार को यह ट्वीट किया और साथ में अपनी एक तस्वीर पोस्ट की जिसमें वो दोनों हाथों को उठाए 'थंब्स अप' का इशारा कर रहे हैं.महीनों के गतिरोध और असहमतियों के बाद आख़िरकार ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) एक पोस्ट-ब्रेग्ज़िट ट्रेड डील यानी ब्रेग्ज़िट के बाद ऐतिहासिक व्यापार समझौते तक पहुँच गए हैं. बोरिस जॉनसन ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कार्यालय 10 डाउनिंग स्ट्रीट प्रेस कॉन्फ़्रेंस में ऐलान किया, “हमने अपने क़ानून और अपनी किस्मत की डोर वापस अपने हाथों में ले ली है.”इस पोस्ट-ब्रेग्ज़िट समझौते की विस्तृत प्रति अभी जारी नहीं हुई है लेकिन प्रधानमंत्री ने दावा किया है कि यह 'पूरे यूरोप के लिए अच्छी डील' है. छोड़कर और ये भी पढ़ें आगे बढ़ेंऔर ये भी पढ़ेंकोरोना के नए वेरिएंट पर दुनिया भर में चिंता, डब्ल्यूएचओ ने कहा ये 'बेक़ाबू' नहींब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन के भारत आने और मोदी को G7 में बुलाने के मायनेब्रेक्सिट समझौते पर जारी रहेगी बातचीत, ईयू और ब्रिटेन हुए सहमतब्रेग्ज़िट: ईयू की यूके के साथ कोई ट्रेड डील ना होने की ‘प्रबल संभावना’ – पीएम बोरिस जॉनसनसमाप्तइसी के साथ अब ब्रिटेन गुरुवार यानी 31 दिसंबर को यूरोपीय संघ के व्यापार नियमों के दायरे से बाहर हो जाएगा. इससे ठीक एक साल पहले यानी 31 दिसंबर, 2019 को ब्रिटेन 27 सदस्य देशों वाले यूरोपीय संघ से आधिकारिक तौर पर अलग हुआ था. इमेज स्रोत, DANIEL SORABJIब्रिटेन और ईयू, दोनों पक्षों ने जताई ख़ुशीब्रिटेन और ईयू दोनों ने ही इस डील पर ख़ुशी जताई है और इसे 'शानदार उपलब्धि' बताया है. दोनों पक्षों का कहना है कि अगर ये डील न हो पाती तो वे एक-दूसरे पर भारी-भरकम टैक्स लगाते रहते. यूरोपीय संघ ने कहा है कि वो जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा और ट्रांसपोर्ट जैसे क्षेत्रों में ब्रिटेन को पहले की तरह अपना सहयोग देता रहेगा. लंदन में मौजूद बीबीसी संवाददाता गगन सबरवाल ने बताया है कि ब्रिटेन में आम तौर पर लोग इस समझौते से ख़ुश हैं क्योंकि उनका मानना है कि ब्रिटेन अगर बिना किसी डील के यूरोपीय संघ से अलग होता तो इसका असर बहुत बुरा होता. इस पोस्ट-ब्रेग्ज़िट समझौते से कारोबार और उद्योग जगत के लिए कई अहम बदलाव होंगे जिनमें ब्रिटेन और ईयू के अलग बाज़ार प्रमुख होंगे. इस डील से वो ब्रितानी कारोबारी राहत की साँस लेंगे जो कोरोना महामारी के बाद सीमा पार व्यापार में मुश्किलों और आयात पर टैक्स से डरे हुए थे.इमेज स्रोत, Thierry Monasse'निष्पक्ष' और 'संतुलित' डीलइस घोषणा के बाद यूरोपीय कमीशन की प्रमुख उज़ूला फ़ॉन दे लायन ने ब्रसेल्स में हुई एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, “यह एक लंबा और मुश्किल भरा रास्ता था लेकिन हमें एक अच्छी डील मिल गई है.” उन्होंने इस समझौते को 'निष्पक्ष' और 'संतुलित' बताया. उज़ूला ने ये भी कहा कि अब ये 'अतीत के पन्ने पलटने और भविष्य की ओर देखने का वक़्त' है. उन्होंने कहा कि डील के बाद भी ब्रिटेन ईयू का एक 'भरोसेमंद पार्टनर' बना रहेगा. वहीं, बोरिस जॉनसन ने अपनी प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा कि हर साल 668 बिलियन पाउंड की यह डील 'पूरे देश में नौकरियाँ बचाएगी' और 'ब्रिटेन के सामानों को ईयू के बाज़ारों में बिना किसी टैक्स या कोटा के बेचे जाने में मदद करेगी.' ब्रिटेन की तरफ़ से डील के प्रमुख मध्यस्थ लॉर्ड फ़्रॉस्ट ने कहा कि इस व्यापार समझौते की पूरी जानकारी जल्दी ही प्रकाशित की जाएगी. हालाँकि इस डील को अमल में लाए जाने के लिए इसका ब्रिटेन और यूरोपीय संघ, दोनों की संसद में पारित होना ज़रूरी है. इसी मद्देनज़र 30 दिसंबर को ब्रिटेन की संसद में वोटिंग होगी. ये भी पढ़ें: 'दुनिया की सबसे बड़ी ट्रेड डील' में भारत नहीं, क्या मोदी सरकार का सही फ़ैसला?इमेज स्रोत, PA Mediaविपक्षी लेबर पार्टी करेगी डील का समर्थन ब्रिटेन में विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कीर स्टामेर ने कहा कि उनकी पार्टी संसद में डील के पक्ष में वोट डालेगी ताकि इसे पारित किया जा सके. स्टामेर ने पहले ब्रेग्ज़िट के विरोध में मुहिम चलाई थी. स्टामेर ने ये भी कहा कि यह एक 'कमज़ोर समझौता' है जो नौकरियों, निर्माण और वित्तीय सेवाओं को 'पर्याप्त सुरक्षा' नहीं देता. उन्होंने कहा कि ये 'वो डील नहीं है, जिसका वादा ब्रितानी सरकार ने किया था'.लेकिन स्टामेर ने ये भी कहा कि चूँकि अब और समय नहीं बचा है इसलिए वो डील का समर्थन करेंगे क्योंकि अगर ब्रिटेन बिना किसी डील के ईयू से अलग हुआ तो इसके भयावह परिणाम होंगे और लेबर पार्टी ऐसा नहीं होने देगी. प्लेबैक आपके उपकरण पर नहीं हो पा रहावीडियो कैप्शन, आज ख़त्म हो जाएगा ब्रिटेन और यूरोपीय संघ का 47 साल पुराना साथइस डील के बारे में अब तक क्या मालूम है? 31 जनवरी 2020 को ब्रिटेन आधिकारिक तौर पर यूरोपीय संघ से अलग हो गया था. इसके बाद से ही दोनों पक्ष व्यापार के नए नियम तय करने के बारे में बातचीत कर रहे थे. इस समझौते में उन नए नियमों पर सहमति बनी है जिनके तहत ब्रिटेन और यूरोपीय संघ साथ मिलकर व्यापार और अन्य क्षेत्रों में काम करेंगे. इस बारे में अभी बहुत ज़्यादा जानकारी नहीं है क्योंकि 1,000 पन्नों का यह समझौता अभी जारी नहीं किया गया है. हालाँकि समझौते की दो प्रमुख बातें मालूम हैं: •ब्रिटेन और ईयू सीमा पार होने वाले व्यापार के लिए एक-दूसरे के उत्पादों पर कोई टैक्स (टैरिफ़) नहीं लगाएंगे. •सीमा पार कितने उत्पादों का व्यापार किया जा सकता है, इसकी कोई सीमा (कोटा) निर्धारित नहीं किया गया है.इमेज स्रोत, Anadolu Agencyइस डील में इतना वक़्त क्यों लगा?इस व्यापार समझौते तक पहुँचने में ब्रिटेन और यूरोपीय संघ को इतना वक़्त क्यों लगा, इसका सीधा सा जवाब है: क्योंकि बहुत कुछ दाँव पर लगा हुआ था. ईयू, ब्रिटेन का सबसे करीबी और सबसे बड़ा व्यापारिक सहयोगी है. ब्रिटेन की सरकार का कहना है कि इस डील के दायरे में साल 2019 में हुआ 668 बिलियन पाउंड का व्यापार भी आता है. जब तक ब्रिटेन यूरोपीय संघ का सदस्य था, ब्रितानी कंपनियँ ईयू की सीमा में कहीं भी बिना कोई टैक्स चुकाए अपने सामान बेच सकती थीं. अगर यह व्यापार समझौता न हो पाता तो कारोबारियों को ईयू में अपना सामान बेचने के लिए भारी टैक्स चुकाना पड़ता जिसका उनके बिज़नस पर बहुत बुरा असर पड़ता. इसके अलावा, अगर ब्रिटेन बिना डील के ईयू से अलग होता तो सीमाओं पर और ज़्यादा पाबंदियाँ होतीं और ब्रितानी कंपनियों के लिए अपना सामान पहुँचाना ज़्यादा मुश्किल हो जाता. इमेज स्रोत, NurPhotoअब आगे क्या होगा? ब्रिटेन और ईयू के बीच व्यापार समझौते पर सहमति ज़रूर बन गई है लेकिन अभी इसका क़ानून बनना बाकी है. इसके लिए समझौते को ब्रिटेन और ईयू, दोनों की संसद से मंज़ूरी मिलना ज़रूरी होगा.चूँकि इसके लिए समय बहुत कम बचा है इसलिए यूरोपीय संसद यह साल ख़त्म होने से पहले इस पर मुहर नहीं लगा पाएगी. हालाँकि इसके बावजूद डील के 1 जनवरी, 2021 से में अमल में आने मुश्किल नहीं होनी चाहिए लेकिन इस पर आधिकारिक रूप से मुहर लगने में थोड़ा वक़्त लगेगा. ब्रितानी सरकार ने कहा है कि वो डील पर वोटिंग के लिए 30 दिसंबर को अपने सांसदों को बुलाएगी. लेकिन चूँकि ये सब इतनी जल्दी में होगा इसलिए इस पर संसद में बहस के लिए वक़्त नहीं होगा. ये भी पढ़ें: भारत की ताइवान के साथ ट्रेड डील को लेकर चीन क्यों नाराज़?इमेज स्रोत, Peter Summersएक वाक्य में कहें तो...दोनों पक्ष (ब्रिटेन और ईयू) डील के बाद राहत की साँस ले रहे हैं लेकिन लोगों और कारोबारियों के लिए तैयारी का ज़्यादा वक़्त नहीं है क्योंकि एक जनवरी से बदले हुए नियम प्रभाव में आना शुरू हो जाएंगे. ईयू और ब्रेग्ज़िट क्या हैं? यूरोपीय संघ (ईयू) 27 देशों का एक संगठन है. इन देशों के नागरिक ईयू के सभी सदस्य देशों में आवाजाही, रहने, काम करने और कारोबार के लिए स्वतंत्र हैं. ईयू के सदस्य देशों के कारोबारी सीमाओं पर बिना किसी रोक-टोक और बिना किसी टैक्स के अपने सामान ख़रीद और बेच सकते हैं.ब्रिटेन ईयू से बाहर निकलने वाला पहला देश है और इसे को 'ब्रेग्ज़िट' (ब्रिटेन के एग्ज़िट) के नाम से जाना जाता है. ब्रेग्ज़िट का फ़ैसला जून, साल 2016 में पब्लिक वोटिंग या जनमत संग्रह के आधार पर हुआ था. लोगों से पूछा गया था कि ब्रिटेन को ईयू में रहना चाहिए या नहीं. जनमत संग्रह में 52 फ़ीसदी लोगों ने कहा था कि ब्रिटेन को ईयू से बाहर हो जाना चाहिए था और 48 फ़ीसदी लोगों ने ब्रिटेन के ईयू में बने रहने की वकालत की थी. (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां क्लिक कर सकते हैं. आप हमें फ़ेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और यूट्यूब पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)संबंधित समाचारBREXIT: यूरोपीय संघ से अलग हुआ ब्रिटेन, ख़त्म हुआ 47 साल का नाता1 फ़रवरी 2020चीन की अर्थव्यवस्था कोरोना संकट से उबरी, भारत क्यों रह गया पीछे19 अक्टूबर 2020टॉप स्टोरीब्रेग्ज़िट के बाद ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में ऐतिहासिक डील, जानिए सबकुछ58 मिनट पहलेमुसलमान ईसा मसीह को किस नज़र से देखते हैं51 मिनट पहलेगोवा में बीफ़ के लिए क्यों परेशान हैं बीजेपी के प्रमोद सावंत?7 घंटे पहलेज़रूर पढ़ेंबीबीसी कार्टूनः कीर्तिश की क़लम से आज का कार्टून24 दिसंबर 2020कोरोना अंटार्कटिक भी पहुँचा, अब हर महाद्वीप पर वायरस23 दिसंबर 2020कोरोनाः भारत में बन रही हैं 9 वैक्सीन, पर मिलेगी कब तक21 दिसंबर 2020कार्टून: शुभकामनाएं दे दें?23 दिसंबर 2020बिहारी किसान क्या APMC पर नीतीश कुमार के फ़ैसले से ग़रीब हुए?22 दिसंबर 2020नेपाल की राजनीति में क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है?20 दिसंबर 2020नेपाल: सात मंत्रियों का इस्तीफ़ा, राष्ट्रपति का संसद भंग करने का फ़ैसला20 दिसंबर 2020अयोध्या में बनने वाली मस्जिद की सामने आई तस्वीर - प्रेस रिव्यू20 दिसंबर 2020किसान आंदोलन: क्या सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए निकल सकता है हल?19 दिसंबर 2020सबसे अधिक पढ़ी गईं1क़ंधार विमान अपहरण: भारतीय हवाई जहाज़ के चक्कर काटता साइकिल वाला कौन था?2ब्रेग्ज़िट के बाद ब्रिटेन और यूरोपीय संघ में ऐतिहासिक डील, जानिए सबकुछ3मुसलमानों की नज़र में ईसा मसीह4रूस को अमेरिका और भारत की बढ़ती दोस्ती क्यों नहीं आ रही रास?5गोवा में बीफ़ का इंतज़ाम कराने के लिए क्यों परेशान हैं बीजेपी के प्रमोद सावंत?6जम्मू-कश्मीर: डीडीसी चुनावों के नतीजों ने दिया भविष्य की राजनीति के संकेत?7किसान आंदोलनः बिहार के किसान प्रदर्शन क्यों नहीं कर रहे8हर महीने इस्तेमाल होने वाले एक अरब सैनिटरी पैड्स का कचरा जाता कहां है?9झारखंड के आदिवासी खाने को 'स्टेटस सिम्बल' बनाने वाली ये महिलाएँ10बीबीसी कार्टूनः कीर्तिश की क़लम से आज का कार्टूनBBC News, हिंदीआप बीबीसी पर क्यों भरोसा कर सकते हैंइस्तेमाल की शर्तेंबीबीसी के बारे मेंनिजता की नीतिकुकीज़बीबीसी से संपर्क करेंAdChoices / Do Not Sell My Info© 2020 BBC. बाहरी साइटों की सामग्री के लिए बीबीसी ज़िम्मेदार नहीं है. बाहरी साइटों का लिंक देने की हमारी नीति के बारे में पढ़ें.
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