एब्स्ट्रैक्ट:ऐसे मौके कम ही देखने को मिलते हैं। जब रूपया डॉलर पर अपनी पैठ जमाता दिखाई पड़ता है। विदेशी मुद्रा विनियम बाज़ार में कल यानी बुधवार को ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। जहां अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपया 28 पैसे की तेज़ी के साथ ही 81.41 प्रति डॉलर पर बंद हुआ।
ऐसे मौके कम ही देखने को मिलते हैं। जब रूपया डॉलर पर अपनी पैठ जमाता दिखाई पड़ता है। विदेशी मुद्रा विनियम बाज़ार में कल यानी बुधवार को ऐसा ही दृश्य देखने को मिला। जहां अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले भारतीय रूपया 28 पैसे की तेज़ी के साथ ही 81.41 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। विदेशों में डॉलर के कमज़ोर होने और घरेलू शेयर बाज़ार में तेजी के रुख से रुपया में तीन सत्र से जारी गिरावट थम गई है। बीते वर्ष भारतीय मुद्रा रूपए ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया था। 2022 में रुपया सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली एशियाई मुद्रा के रूप में 11.3 प्रतिशत की गिरावट के साथ समाप्त हुआ था। 2013 के बाद भारतीय मुद्रा के लिए यह सबसे बड़ी वार्षिक गिरावट रही।
हालाँकि 2023 में बाज़ार सहयोगियों का कहना है कि रूपया बेहतर प्रदर्शन करेगा। उत्पादों की कीमतों में कमी से राहत मिलेगी और विदेशी निवेशक भारतीय इक्विटी खरीदना जारी रखेंगे। साथ ही उन्होंने कहा लेकिन 2023 में कई अनिश्चितताएँ जैसे सख्त मौद्रिक नीति की स्थिति, वैश्विक मंदी की संभावना और एक भू-राजनीतिक संघर्ष बाज़ार को विदेशी मुद्रा बाज़ार प्रभावित कर सकती है। पिछले दो दशकों से डॉलर अन्य मुद्राओं की तुलना में सबसे मजबूत बना हुआ है। डॉलर की कीमत बहुत अधिक है। अतः इसे खरीद पाना बेहद मुश्किल है। ऐसे में अन्य देश अपनी मुद्रा को बढ़ावा देने हेतु ब्याज दरें बढ़ा रहे हैं।
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